For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल निकल गए आँसू,,,,

   2122  1212  22

दफ़अतन जो निकल गए आँसू।

सारे मंज़र बदल गए आँसू।।

लाख की कोशिशें छुपाने की।

राज़ दिल का उगल गए आँसू।।

इक ख़ुशी ने मुझे पुकारा है।

ये ख़बर सुन के जल गए आँसू।।

ख़ुश्क दामन तुझे बताऊँ क्या।

वो सबब जो सँभल गए आँसू।।

इत्तिफ़ाकन ही ख़ुश्क थीं पलकें।

इंतिकामन मचल गए आँसू।।

इक तबस्सुम जो आगया लब पर।

मारे ग़म के पिघल गए आँसू।।

कौन सा पल मुझे हंसाएगा।

मेरी फ़ितरत में ढल गए आँसू।।

हाथ ख़ाली हैं फिर सहर अपने।

लो तुम्हें फिर से छल गए आँसू।।

      मौलिक/अप्रकाशित

Views: 743

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on December 27, 2017 at 10:52am

उम्दा ग़ज़ल है आ. अफ़रोज़ जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Afroz 'sahr' on December 26, 2017 at 1:56pm
आदरणीय तस्दीक़ जी ग़ज़ल में शिरकत और सुख़न नवाज़ी का शुक्रिया,,,, लफ़्ज़ "अपने" बहूवचन में है या, एक वचन में मेहरबानी कर बतलाएं,,,,,,
Comment by Afroz 'sahr' on December 26, 2017 at 10:13am

आदरणीय सुरेंद्र नाथ जी ग़ज़ल में शिरकत और सुख़न नाज़ी का शुक्रिया

Comment by नाथ सोनांचली on December 26, 2017 at 9:26am

आद0 अफ़रोज़ जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये। सादर

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 25, 2017 at 8:33pm

जनाब अफ़रोज़ साहिब ,अच्छी ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

आखरी शेर में अपने को तेरे और तुम्हें को तुझे करने से दोष खत्म हो सकता है ।

Comment by Afroz 'sahr' on December 25, 2017 at 2:06pm
आदरणीय अजय तिवारी साहिब ग़ज़ल में शिरकत और सुख़न नवाज़ी का शुक्रिया,,,,,
Comment by Afroz 'sahr' on December 25, 2017 at 2:04pm
आदरणीय समर कबीर साहिब ग़ज़ल नें शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का शुक्रिया,,सादर
Comment by Ajay Tiwari on December 25, 2017 at 12:25pm

आदरणीय अफ़रोज़ साहब, खूबसूरत अशआर हुए हैं. हार्दिक बधाई.

Comment by Samar kabeer on December 24, 2017 at 5:54pm

जनाब अफ़रोज़ 'सहर' साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

दूसरे शैर के ऊला में 'लाख की' को "लाख कीं"कर लें ।

'वो सबब जो सँभल गये आँसू'

इस मिसरे में 'जो' शब्द भर्ती का है, इस बारीकी को समझाने के लिए एक त्वरित सुझाव है,इसमें तनाफ़ुर न देखें :-

'जिस सबब से पिघल गए आँसू'

'मारे ग़म के पिघल गये आँसू'

ग़म के मारे तो आँसू  बहते ही हैं,मेरे ख़याल से ये मिसरा यूँ होना था:-

इस ख़ुशी में पिघल गए आँसू'

आख़री शैर में शुतरगुर्बा देखिये,ऊला में 'अपने',सानी में 'तुम्हें' ।

Comment by Afroz 'sahr' on December 24, 2017 at 5:18pm
आदरणीय निलेश जी ग़ज़ल में शिरकत और सुख़न नवाज़ी का शुक्रिया,,,,, अर्कान यही हैं । ग़लती से उन में गेप हो गया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"वहशी दरिन्दे क्या जानें, क्या होता सिन्दूर .. प्रस्तुत पद के विषम चरण का आपने क्या कर दिया है,…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"अय हय, हय हय, हय हय... क्या ही सुंदर, भावमय रचना प्रस्तुत की है आपने, आदरणीय अशोक भाईजी. मनहरण…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मैं अपने प्रस्तुत पोस्ट को लेकर बहुत संयत नहीं हो पा रहा था. कारण, उक्त आयोजन के दौरान हुए कुल…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर, प्रस्तुत घनाक्षरी की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. 16,15 =31…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"काफ़िराना (लघुकथा) : प्रकृति की गोद में एक गुट के प्रवेश के साथ ही भयावह सन्नाटा पसर गया। हिंदू और…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मनचाही सभी सदस्यों नमन, आदरणीय तिलक कपूर साहब से लेकर भाई अजय गुप्त 'अजेय' सभी के…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपका कहना सही है, पुराने सदस्यों को भी अब सक्रिय हो जाना चाहिए।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"<span;>आदरणीय अजय जी <span;>आपकी अभिव्यक्ति का स्वागत है। यह मंच हमेशा से पारस्परिक…"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सभी साथियों को प्रणाम, आदरणीय सौरभ जी ने एक गंभीर मुद्दे को उठाया है और इस पर चर्चा आवश्यक है।…"
8 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"विषय बहुत ही चुनकर देते हैं आप आदरणीय योगराज सर। पुराने दिन याद आते हैं इस आयोजन के..."
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक रक्ताले सर, प्रस्तुत रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।तीसरी और चौथी पंक्तियों को पढ़ते समय…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सुशील सरना जी, अच्छी रचना है सादर बधाई आपको"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service