For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राजमार्ग का एक हिस्सा(लघुकथा)

राजमार्ग का एक हिस्सा(लघुकथा)

भारी गाड़ियों के आवागमन से कम्पित होता,तो कभी हल्की गाड़ियों के गुजरने से सरर्सराहट महसूस करता हूँ।  घोर कुहरे में  इंसानों की दृष्टि जवाब दे जाती है, मगर मैं दूर से ही दुर्घटना की संभावना  को भांपकर सिहर उठता हूँ।

देखता हूँ नई उम्र को मोटरसाइकिलों पर करतब करते निकलते हुए। बेपरवाही जिसके शौंक में शामिल है।

हाल ही की  तो बात है,ऐसा करते हुए उस किशोर की बाइक गिर कर कचरा हो गई थी। पीछे से आते ट्रक ने दल दिया था उसे। मेरा काला शख्त सीना पसीज गया था, इस पर रक्त उभर आया था।

चालकों की गलतियों,उनके आपसी झगड़ों का साक्षी रहा हूँ। अपशब्दों की पराकाष्ठा का भान है मुझे।

कभी-कभी तीखे सायरन की अगुवाई में सरपट दौड़ते काफिले  जिन गाड़ियों का मुहँ चिढ़ाते हुए निकल जाते हैं,उनकी बेबसी से परिचित हूँ।

आज एक मोटर साइकिल सवार के सामने अचानक केले के छिलके आ गिरे। टायर के नीचे आते ही जिसका नियंत्रण डगमगा गया। वह दूर कच्चे में गिरा। चोट तो ख़ास आई नहीं पर वह सहमा हुआ-सा उठा। उसने काफी आगे निकल चुकी गाड़ी को गालियाँ दी। केले के छिलकों पर एक नजर डाली। मोटर सायकिल सम्भाली और चलता बना। छिलके वहीं मेरे सीने पर लेटे इंसानियत को चिढ़ा रहे थे। मैं बेबस उनका बोझ सह रहा था। मैं -’राजमार्ग का एक हिस्सा’।

मौलिक एवं अप्रकाशित

30-11-2017

Views: 1020

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on December 3, 2017 at 3:47pm
आद0 सतविंदर कुमार जी सादर अभिवादन, बेहतरीन विषय को आधार बनाकर उम्दा लघुकथा लिखी आपने, बहुत बहुत बधाई आपको। सादर
Comment by डॉ पवन मिश्र on December 3, 2017 at 1:52pm
बहुत उम्दा लेखन आदरणीय
Comment by Samar kabeer on December 2, 2017 at 11:37am
जनाब सतविन्द्र कुमार जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by रक्षिता सिंह on December 1, 2017 at 9:01pm
आदरणीय सतविन्द्र जी,
राजमार्ग के एक हिस्से का आपने "सजीवता" के साथ बहुत ही सुन्दर वर्णन किया।
"मैं राजमार्ग का एक हिस्सा"कहानी का सम्पूर्ण सार।
बहुत बहुत मुबारकबाद।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 1, 2017 at 8:00pm
आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहब सादर नमन,अनुमोदन एवं उत्साहवर्धन के लिए तहेदिल शुक्रगुज़ार हूँ। आपके सुझावनुरूप विचार अवश्य करूँगा। सादर
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 1, 2017 at 12:08am
वाह। बहुत बढ़िया विचारोत्तेजक उम्दा सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब सतविंद्र कुमार राणा जी। अंत में 'केले के छिलके' से दुर्घटना बताने के बजाय कोई और तरीका बता सकते हैं। सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service