For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मोम नहीं जो दिल पत्थर है-ग़ज़ल

22 22 22 22

मोम नहीं जो दिल पत्थर है
उसका चर्चा क्यों घर-घर है?

मंजिल को पा लेता है वो
जिसने साधी खूब डगर है

लोग पुराने बात पुरानी
फिर भी उनका आज असर है

देख! सँभलना उसने सीखा
जिसने भी खायी ठोकर है

होठों पर मुस्कान भले हो
दिल में गम का इक सागर है

माना सच होता है कड़वा
'राणा' कहता ख़ूब मगर है

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 787

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 21, 2017 at 6:48pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी हौंस्लाफ्जाई के लिए सादर हार्दिक आभार,नमन सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 20, 2017 at 4:51pm

भाई सतविंद्र जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 19, 2017 at 8:39pm

आदरणीय अफरोज सहर जी उत्साहवर्धन एवं सुझाव के लिए शुक्रिया.. आपके सुझावानुसार परिष्कार क्र रहा हूँ सादर

Comment by Afroz 'sahr' on December 19, 2017 at 1:24pm

आदरणीय सतविंद्र जी इस रचना पर बधाई आपको पाँचवे शेर के सानी मिसरे में "उसका"  "ग़मका"  "का" की तकरार के सबब रवानी में अटकाव आ रहा है। इसे यूँ किया जासकता है,,,, "दिल में ग़म का इक सागर है"

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 18, 2017 at 10:53pm
आ० महेंद्र कुमार जी हौंसलाफ़ज़ाई के लिए सादर आभार नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 18, 2017 at 10:53pm
आदरणीय तस्दीक अहमद खां जी,हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहे दिल शुक्रिया
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 18, 2017 at 10:52pm
आदरणीय समर कबीर जी आपको प्रयास पसन्द आया,यह सार्थक हुआ। सादर आभार नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 18, 2017 at 10:51pm
आदरणीय सुशील सरन जी उत्साहवर्धन के लिए सादर आभार संग नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 18, 2017 at 10:50pm
आदरणीय बृजेश भाई जी उत्साहवर्धन के लिए बहुत-बहुत आभार
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 18, 2017 at 10:49pm
आदरणीय कालीपद प्रसाद मंडल जी,हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहेदिल आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service