For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझे हिन्दू, उसे मुसलमान रहने दो!

दिल में प्यार

आँखों में सम्मान रहने दो
मंदीर की आरतियों संग
मस्जिद की अज़ान रहने दो
क्यों लड़ना धर्म के नाम पर
क्यों बेकार में खून बहाना
मज़हब के मोहल्लों में
इंसानों के मकान रहने दो
मुझे हिन्दू, उसे मुसलमान रहने दो!

माना सब एक ही हैं
पर थोड़ी अलग पहचान रहने दो
अगरबत्तियों की ख़ुशबू संग
थोडा लोहबान रहने दो
चढाने दो उसको चादरें
मुझे चढाने दो चुनरियाँ
दोनों मज़हब तो सिखाते हैं प्रेम ही
तो थोड़ी गीता थोडा क़ुरान रहने दो
मुझे हिन्दू, उसे मुसलमान रहने दो!

उदास ना हो कोई घर
हर चेहरे पर मुस्कान रहने दो
मेरे त्योहारों की मिठाइयों में
उसके लजीज़ पकवान रहने दो
सजाये मैने भी हैं उसके ताजिये
उसने भी दिए जलाएं हैं घर पर
उसका एक दोस्त राम है
मेरा भी एक दोस्त रहमान रहने दो
मुझे हिन्दू, उसे मुसलमान रहने दो!

“मौलिक व अप्रकाशित”
रणवीर प्रताप सिंह

 

Views: 656

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on September 11, 2017 at 10:15pm

बहुत बढ़िया कविता है आ. रणवीर प्रताप सिंह जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Ranveer Pratap Singh on September 9, 2017 at 5:11pm
@Salim raza rew @Brijesh Kumar @Samar Kabeer aap sabhi ka dhanywad jo aapney meri is kavita ko saraha
Comment by SALIM RAZA REWA on September 9, 2017 at 8:36am
भाई रणवीर जी बधाई swavikaren
Comment by Samar kabeer on September 7, 2017 at 11:31pm
जनाब रणवीर प्रताप सिंह जी आदाब,काश सब आपकी तरह सोचने लगें,बहुत सुंदर कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 7, 2017 at 10:07am
बड़ी उम्दा सार्थक रचना है आदरणीय..हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service