For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं भारत का मुसलमान हूँ

है मज़हब भले अलग मेरा, पर मैं भी तो इंसान हूँ
खान पान पहनावा अलग, पर बिलकुल तेरे सामान हूँ
ऊपर से चाहे जैसा भी, अन्दर से हिंदुस्तान हूँ
अपने न समझे अपना मुझे, इस बात मैं परेशान हूँ
अपने ही मुल्क में ढूंढ रहा, मैं अपनी पहचान हूँ
मैं भारत का मुसलमान हूँ-२

जब कोई धमाका होता है, लोग मुझ पर उंगली उठाते हैं
आतंक सिखाता है मज़हब मेरा, ये तोहमत हम पर लगाते हैं
दंगों में मरते हैं जबकि, मेरे अम्मी अब्बा भाई भी
कुछ मेरे नबी भी मरते हैं, और कुछ मरते तेरे साईं भी
इन हमलों से नहीं, मै तेरे इल्जामों से परेशान हूँ
मैं भारत का मुसलान हूँ-२.

कोहली जब बैटिंग करता है, तब मैं भी तो चिल्लाता हूं
और दिल टूटता है जब मेरा, अरिजीत के गीत ही गाता हूं
जब करना हो इज़हार प्यार का, शाहरुख सी बाहें फैलाता हूं
और सुनील-कपिल के देख विडियो, हंसता हूं हंसाता हूं
फिर कैसे अलग हुआ मैं तुझसे, क्यों मैं सवालिया निशान हूं
मैं भारत का मुसलमान-२

आजाद की तरह अशफाक भी तो, फांसी के फंदे पर झूल गए
इकबाल ने लिखा जो देश गीत, वो सारे जहां से अच्छा भूल गए
कलम तलवार या बंदूक, देश हित में सब हमने उठाया है
लेकिन मेरे सम्मान के हिस्से में, बस आतंकवाद ही आया है
देश के लिए कोई कलंक नहीं, मैं भारत का सम्मान हूँ
मैं भारत का मुसलमान हूँ-२

बाइक के पीछे नंबर प्लेट पर, मैने भी तिरंगा लगाया है
जन गन मन हो या वन्दे मातरम, स्कूल में सब मैने गया है
जॉब वाली रिज्यूमे में, Nationality “Indian” लिखता हूँ
फिर ना जाने क्यों मैं तुमको गैर मुल्क का दीखता हूँ
यह मुल्क मेरा भी है जनाब, मैं नहीं कोई कोई मेहमान हूँ
मैं भारत का मुसलमान हूँ-२

"मौलिक व् अप्रकाशित"
रणवीर प्रताप सिंह

Views: 646

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by babitagupta on May 4, 2018 at 1:23pm

आदरणीय सर जी ,सच्चे देश भक्त की अंतर्व्यथा की प्रस्तुती सराहनीय,प्रस्तुत रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा.

Comment by Samar kabeer on May 2, 2018 at 2:18pm

ये जज़्बात में बहकर लिखी गई कविता है, कुछ लोग बाइक की नम्बर प्लेट पर तिरंगे का चित्र बनवाते हैं,शायद उसी तरफ़ इशारा है ।

'नबी भी मरते हैं' इस पंक्ति को बदलना चाहिए ।

Comment by Ranveer Pratap Singh on May 2, 2018 at 2:18pm

@SheikhShahzadUsmani
Sir aajkal bike ki number plate par RTO key niyam key hisaab sey flag symbol key roop mein lagta hai, Nabi wali baat par gour karunga aur aapttijanak shabdon ko hatah dunga... main kisi ko thes nahin pahuchana chahta.

@Samar Kabeer 

Sir mera sahtiya aur vyakaran kamzor hai, sirf apni bhavna likhta hoon, aap badon ka aashirwad milega to dhirey dhirey vyakaran, Sahitya aur shabdawali bhi sudhar jayegi.

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on May 2, 2018 at 1:58pm

क्या यह आपत्तिजनक नहीं है?//बाइक के पीछे नंबर प्लेट पर, मैने भी तिरंगा लगाया है//?

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on May 2, 2018 at 1:56pm

बहुत-बहुत शुक्रिया देश के बहुत से परेशान देशभक्तों के मन की बात शाब्दिक करने के लिए। तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया और मुबारकबाद मुहतरम जनाब रणदीप प्रताप सिंह साहिब। मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब की टिप्पणी पर शीघ्र ही अवश्य ग़ौर फ़रमाइयेगा। ***// कुछ मेरे नबी भी मरते हैं,// ... इस पर ध्यान दीजियेगा। यह आपत्तिजनक हो सकता है। 

Comment by Samar kabeer on May 2, 2018 at 11:04am

जनाब रणवीर प्रताप सिंह जी आदाब,रचना ख़यालात के हिसाब से ठीक है,लेकिन इसकी विधा समझ नहीं आती,अगर इसे गीत या नज़्म कहें तो भी इसमें कई तकनीकी कमज़ोरियाँ हैं,कविता कहें तो भी शिल्प और व्याकरण कमज़ोर है, बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service