For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घर के टीचर (लघुकथा) / शेख़ शहज़ाद उस्मानी

हल्कू ने बहुत दिनों बाद अपने बेटे कल्लू की पढ़ाई-लिखाई संबंधित पूछताछ करते हुए उससे अगला सवाल किया- "तुम्हारे इंग्लिश टीचर कौन हैं!"

कल्लू : "वो तो हमारे नसीब में नहीं हैं!"

हल्कू : "क्या कहा?"

कल्लू : "सच कहा। हमें केवल इंडियन टीचर ही पढ़ाते हैं!"

हल्कू : "अबे, मैं अंग्रेज़ी के बारे में पूछ रहा हूं!"

कल्लू : "लेकिन मैंने तो आपके हाथ में केवल देसी देखी है, क्या अब आप अंग्रेज़ी भी लेने लगे?"

हल्कू : " अबे, मैं दारू की नहीं, अंग्रेज़ी के टीचर याने मासाब के बारे में पूछ रहा हूं, साले तेरा ध्यान किधर है?"

कल्लू : "ध्यान तो दे रहा हूं न पापा! आप 'देसी' के टीचर हो न, 'अंग्रेज़ी' के नहीं! स्कूल में तो ऐसा या वैसा कोई भी टीचर नहीं!"

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 695

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 9, 2017 at 10:34pm
मेरी इस लघुकथा पर समय देकर अनुमोदन व हौसला अफज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर साहब, जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहब, जनाब सलीम रज़ा रेवा साहब, जनाब डॉ. आशुतोष मिश्रा साहब, जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब और जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहब। यह प्रोत्साहन मुझे और अच्छा प्रयास करने के लिए बहुत ज़रूरी व अहम है।
Comment by SALIM RAZA REWA on September 8, 2017 at 10:50pm
जनाब उस्मानी साहब अच्छी लघुकथा के लिए मुबारकबाद,
Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 8, 2017 at 5:18pm

आदरणीय शेख शहजाद जी सार्थक सन्देश देती अच्छी लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई /संबाद के तरीके ने इसे और रोचक बना दिया है सादर 

Comment by Mohammed Arif on September 7, 2017 at 7:31am
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब, बहुत ही बेहतरीन कटाक्ष । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 6, 2017 at 6:31pm
मुहतरम जनाब शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब ,अच्छी सीख देती लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
Comment by Samar kabeer on September 6, 2017 at 5:36pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब,कम शब्दों में बहुत अच्छी लघुकथा लिखी आपने,बच्चे जो घर में देखते हैं उसी इस्तिलाह को अपना लेते हैं,बहुत ख़ूब वाह, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by नाथ सोनांचली on September 6, 2017 at 1:54pm
आद0 शहज़ाद शेख उस्मानी साहब सादर अभिवादन, बहुत हास्य का पुट लिए यह लघुकथा है। कई बार पढ़ने के बावजूद भी मन नहीं भरा। बधाई आपको इस हास्य व्यंग्य लघुकथा पर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
19 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ.भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"विषय - आत्म सम्मान शीर्षक - गहरी चोट नीरज एक 14 वर्षीय बालक था। वह शहर के विख्यात वकील धर्म नारायण…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उम्र  का खेल । स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार…"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपकी लघुकविता का मामला समझ में नहीं आ रहा. आपकी पिछ्ली रचना पर भी मैंने…"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का यह लिहाज इसलिए पसंद नहीं आया कि यह रचना आपकी प्रिया विधा…"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी कुण्डलिया छंद की विषयवस्तु रोचक ही नहीं, व्यापक भी है. यह आयुबोध अक्सर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service