For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहीं ये नीयत फिसल न् जाए

121 22 121 2 2 121 22 121 22

नई जवानी नई अदाएं
कहीं ये नीयत फिसल न् जाए ।।
जरा सँभालो अदब में पल्लू
कोई इरादा बदल न् जाए ।।

कबूल कर ले सलाम मेरा
ऐ हुस्न वाले तुझे है सज़दा ।
मेरी मुहब्बत का दौर यूं ही
तेरी ख़ता से निकल न् जाए ।।

बड़ी तमन्ना थी महफ़िलो की
ग़ज़ल में उसके पयाम होगा ।
उधर है दरिया में बेरुखी तो
इधर समंदर मचल न् जाए ।।

है क़त्ल का गर तेरा इरादा
तो दर्द देकर गुनाह मत कर ।
हराम होगा ये इश्क़ तेरा
ख़ुदा के घर तक दखल न् जाए ।।

अगर ज़मीं में है तिश्नगी कुछ
तो बादलों पर यकीन रखना ।
तेरी बेसब्री बड़ी जुदा है
तमाम ख्वाहिश निगल न् जाए ।।

ये गर्म झोंके बता रहे हैं
वो आग अब तक बुझी नहीं है ।
खुदा से इतनी सी इल्तज़ा है
वो मोम का घर पिघल न् जाए ।।

न् राज पूछो मेरी जुबाँ से
मेरी मुहब्वत तबाह होगी ।।
मैं जख़्म अपना छुपा गया हूँ
ये दिल तुम्हारा दहल न् जाए ।।

मौलिक अप्रकाशित --नवीन मणि त्रिपाठी

Views: 773

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 18, 2017 at 6:34pm
आ0 शुक्ला सर सादर नमन
Comment by Ravi Shukla on April 18, 2017 at 3:09pm

आदरणीय नवीन मणि जी बढि़या गजल कही आपने बधाई हाजिर है । एक शेर में आपने दख्‍ल 21 को दखल 12 के वज्‍न में बांधा है शायद दख्‍ल का वजन 21 है ।

तेरी बेसब्री बड़ी जुदा है  यहां पर आपने बेसब्री के पहले हर्फ में मात्रा गिराई है इस पर नजरे सानी कीजियेगा

हमें लगता है मतले को और भी अच्‍छा आप कह सकते है । अच्‍छी गजल के लिये बधाई फिर से । सादर

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 16, 2017 at 1:05am
आ0 कबीर सर सादर नमन ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on April 16, 2017 at 1:03am
आ0 बृजेश जी आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on April 16, 2017 at 1:03am
आ0 आरिफ सर शुक्रिया ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 15, 2017 at 10:51pm
वाह आदरणीय बेहतरीन ग़ज़ल हुई..सादर
Comment by Samar kabeer on April 15, 2017 at 6:10pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by Mohammed Arif on April 15, 2017 at 6:03pm
वाह!वाह!!बधाई आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on April 14, 2017 at 10:36am
आ0 नीलेश सर शुक्रिया ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on April 14, 2017 at 10:36am
बहुत आभार आ0 नीलेश सर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service