For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 2122 212

बस झुके हमको तो सबके सर मिले
बुत यहाँ भारी ज़माने पर मिले

काँच के जिनके बनें हैं घर यहाँ
हाथ में उनके ही बस पत्थर मिले।

विष गले में रख सके जग का सकल
है कहाँ मुमकिन कि फिर शंकर मिले।

दिल में उनके है धुआँ गम का बहुत
पर मिले जिससे भी वो हँसकर मिले

फूल को कैसे समझ लें फूल जब
पास उसके ही हमें खंजर मिले

मिल गया अब रहनुमा देखो नया
झोपड़ी को भी नया छप्पर मिले

हैं जहाँ पर दौलतों की रौनकें
*पत्थरों के दिल वहीँ अक्सर मिले।*

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 725

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 24, 2017 at 1:19pm
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ भाई जी,सादर हार्दिक आभार प्रोत्साहन के लिए,सादर नमन!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 24, 2017 at 1:17pm
आदरणीय बृजेश ब्रज भाई जी प्रयास को समय देकर हौंसलाफ़ज़ाई करने के लिए बहुत-बहुत हार्दिक आभार
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 24, 2017 at 1:15pm
आदरणीय बैजनाथ मिंटू जी हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहेदिल शुक्रिया मेहरबानी!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 24, 2017 at 1:08pm
आदरणीय सुशील सरना जी,गजल प्रयास को मान देने और प्रोत्साहित करने के लिए तहेदिल शुक्रिया,सादर नमन
Comment by नाथ सोनांचली on March 24, 2017 at 5:34am
भाई सतविंदर जी सादर अभिवादन, बेहतरीन अशआर से सजी उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाइयाँ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 23, 2017 at 8:33pm
वाह वाह बहुत ही खूबसूरत हर एक शेर बेहतरीन..हार्दिक बधाई
Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on March 23, 2017 at 7:13pm

आदरणीय सतविन्द्र साहेब ....बहुत सुन्दर .....बधाई आपको 

Comment by Sushil Sarna on March 23, 2017 at 2:11pm

मिल गया अब रहनुमा देखो नया
झोपड़ी को भी नया छप्पर मिले

हैं जहाँ पर दौलतों की रौनकें
*पत्थरों के दिल वहीँ अक्सर मिले।*
वाह आदरणीय सतविन्द्र जी खूबसूरत अहसासों की इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 22, 2017 at 9:35pm
आदरणीय बासुदेव अग्रवाल सर,हौंसलाफ़ज़ाई के लिए बहुत-बहुत हार्दिक आभार
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on March 22, 2017 at 4:47pm
आ0 सतविंदर जी खूबसूरत ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें।
हैं जहाँ पर दौलतों की रौनकें
*पत्थरों के दिल वहीँ अक्सर मिले।*
बहुत सुंदर गिरह।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी । नववर्ष की…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।नववर्ष की हार्दिक बधाई…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।।"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लेखन के विपरित वातावरण में इतना और ऐसा ही लिख सका।…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service