For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तू हमेशा ही मुझमें रमी सी रही

जिन्दगी भर खुशी की कमी सी रही
इक परत सी गमों की जमी सी रही
....
ढोल बजते रहे शहर में हर तरफ
पर मेरे आशियाँ में गमी सी रही
....
चाहकर भी न भूला तेरे प्यार को
तू हमेशा ही मुझमें रमी सी रही
....
नींद आती भी आँखों में कैसे भला
आँखों में आसुओं की नमी सी रही
....
कोई दस्तक बजेगी मेरे द्वार पर
सोचकर साँस मेरी थमी सी रही

उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 754

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 11, 2015 at 10:35am

बहुत सुन्दर ! आदरणीय उमेश भाई , बधाइयाँ ॥

Comment by khursheed khairadi on March 10, 2015 at 10:29pm

जिन्दगी भर खुशी की कमी सी रही
इक परत सी गमों की जमी सी रही....वा..ह उम्दा मतला 
....
ढोल बजते रहे शहर में हर तरफ
पर मेरे आशियाँ में गमी सी रही.......क्या बात है सर जी ....लाज़वाब कहन 
....
चाहकर भी न भूला तेरे प्यार को
तू हमेशा ही मुझमें रमी सी रही...........वा..ह वा..ह ....कुर्बान उमेस जी ..क्या काफ़िये के साथ शेरीयत क संगम है 
....
नींद आती भी आँखों में कैसे भला
आँखों में आसुओं की नमी सी रही.......बहुत खूब 
....
कोई दस्तक बजेगी मेरे द्वार पर
सोचकर साँस मेरी थमी सी रही..........आपकी इस ग़ज़ल ने तो दिल के द्वार पर दस्तक दे दी है साहब....बहुत बहुत बधाई आपको ...एक बेहतरीन ग़ज़ल हुईं है |सादर अभिनंदन | 

Comment by ajay sharma on March 9, 2015 at 10:35pm

umda ....ashaar hai ...

Comment by gumnaam pithoragarhi on March 9, 2015 at 9:38pm

न्दर ग़ज़ल हुई आ० उमेश जी बहुत बधाई .....................

Comment by Hari Prakash Dubey on March 9, 2015 at 9:30pm

बहुत खूब ,

कोई दस्तक बजेगी मेरे द्वार पर
सोचकर साँस मेरी थमी सी रही.......हार्दिक बधाई आपको इस रचना पर आदरणीय उमेश कटारा जी !

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 9, 2015 at 6:18pm

चाहकर भी न भूला तेरे प्यार को
तू हमेशा ही मुझमें रमी सी रही

वाह! क्या बात है आ० उमेश जी बधाई!

Comment by maharshi tripathi on March 9, 2015 at 5:41pm

आ.कटारा जी इस अच्छी गजल पर आपको बधाई|

Comment by Shyam Mathpal on March 9, 2015 at 4:33pm

Aadarniya Katara Ji,

Dil ko chune wali rachana ke liye badhai.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 9, 2015 at 2:24pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई आ० उमेश जी मतले में सी रही कर दीजिये और चौथे शेर में भी सी रही कर दीजिये ग़ज़ल में चार चाँद लग जायेंगे 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 9, 2015 at 1:14pm

प्रिय कटारा जी

बेहतरीन गजल  पर रदीफ़ में थोड़ी सी चूक i सादर i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service