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घिर आई है शाम

 

यादें भटके जंगल-जंगल

नींद गई वनवास

अच्छे दिन परदेशी ठहरे

फ़ाग मिलन की आस |

बचपन यादें गहरी रंगी

खेले-कूदे   संग

यौवन की लाल चुनरिया

डूबी पीया के रंग |

नंदे-देवर निकले हरजाई

करें ठिठोली छेड़ |

माघ कली झुलस चली

आन करो ना देर |

कीरत अर्जित करते जाते

तीर्थ है किस धाम

छोड़ो-अपनाओं  दिल से

जब जोड़ा है नाम |

मीरा जैसा जीवन काटा

रुक्मणी बस नाम

आकर दीपक बारों फिर

घिर आई है शाम |

सोमेश कुमार(मौलिक एवं अप्रकाशित)  `

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Comment by khursheed khairadi on February 3, 2015 at 9:28am

मीरा जैसा जीवन काटा

रुक्मणी बस नाम

आकर दीपक बारों फिर

घिर आई है शाम |

आदरणीय सोमेश जी ,बहुत ही सरस और सुन्दर रचना हुई है |सादर अभिनन्दन |

Comment by somesh kumar on February 1, 2015 at 11:28am

शुक्रिया शिज्ज  जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 1, 2015 at 10:02am

बहुत सुंदर आदरणीय सोमेश भाई बहुत बधाई इस रचना के लिये

Comment by somesh kumar on January 29, 2015 at 11:39am

sukriya sbhi aadrniy jno evm prm mitron ka ,mithlesh bhai sukriya mujhe chnd gyaan to nhin tha pr rchna aap ko bhi bhai to accha mhsus kr rha hun

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 29, 2015 at 9:17am

बहुत सुंदर प्रस्तुति, आदरणीय सोमेश भाई जी. हार्दिक बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 29, 2015 at 12:32am

भाई सोमेश जी बहुत सुन्दर और प्यारी रचना है. सुन्दर पद हुए है. 16-11 की यति.... ये तो सरसी छंद हो गया. हार्दिक बधाई इस सुन्दर पदावली के लिए

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 28, 2015 at 9:56pm

यादें भटके जंगल-जंगल

नींद गई वनवास

अच्छे दिन परदेशी ठहरे

फ़ाग मिलन की आस |

बचपन यादें गहरी रंगी

खेले-कूदे   संग

यौवन की लाल चुनरिया

डूबी पीया के रंग |------------------सुन्दर रचना i

Comment by Hari Prakash Dubey on January 28, 2015 at 8:19pm

सोमेश भाई, सुन्दर रचना ....

यादें भटके जंगल-जंगल

नींद गई वनवास

अच्छे दिन परदेशी ठहरे

फ़ाग मिलन की आस | हार्दिक बधाई ! सादर  

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 28, 2015 at 6:46pm

सुन्दर रचना हुई है ...................

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 28, 2015 at 11:44am

आ० सोमेश भाई , सुन्दर रचना हुई है हार्दिक बधाई .

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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