आईना तो
सच दिखा रहा था
जाला,
हमारी ही आखों में था
दुनिया जिसे
बेदाग़ समझती रही
धब्बा,
उसी केे दामन में था
वो बहुत पहले की बात है
जब लोग
दो रोटी और दो लंगोटी में
खुश रहा करते थे
तुम
ये जो राजपथ देखते हो
कभी वहां पगडंडी
हुआ करती थी
और एक
छांवदार पेड भी हुआ करता था
ये तब की बात है
जब लोग
धन में नही धर्म में
आस्था रखा करते थे
खैर छोडो मुकेश बाबू
इन बातों से क्या फायदा
आओ काम की बातें करें
या फिर
क्रिकेट, मौसम या सटटाबाजार
पे तजकरा करें
मुकेश इलाहाबादी ...............
Comment
bahut bahut shukria Maharishi Tripathi jee
आइने के जरिये पूर्व का ,सुन्दर वर्णन |
bahut bahut aabhaar Sri Lakshman Ramanuj Ladiwala jee, Yograj Prabhakar je, Giriraj Bhandari jee, Dr. Gopal Narayan jee ,Rajesh Kumari jee -
बहुत सुंदर और अनुपम रचना अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई
बहुत खूब, सुन्दर प्रस्तुति.
बहुत खूब , आदरनीय मुकेश भाई , हार्दिक बधाई ।
vaah mukesh baboo --- sundar
बहुत बढ़िया तंज कसा है क्षणिकाओं के माध्यम से सुन्दर प्रस्तुति ..हार्दिक बधाई आपको आ० मुकेश श्रीवास्तव जी
bahut bahut aabhaar is sarahnaa ke liye Shyam Narain Verma jee
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ... सादर बधाई |
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