है हंसी रात बस चले आओ
बहके जज़्बात बस चले आओ !
उसने वादा किया वफ़ा देंगे
दे रहा घात बस चले आओ !
ज़िन्दगी हो गई है आवारा
क्या सवालात बस चले आओ !
ठन्डे पानी मे भी बदन जलता
क्या ये बरसात बस चले आओ !
"म“ञ्जरी" अब सहा नही जाता
अरज़े हालात बस चले आओ !
अप्रकाशित एवम मौलिक रचना !
Comment
उसने वादा किया वफ़ा देंगे
दे रहा घात बस चले आओ !
ज़िन्दगी हो गई है आवारा
क्या सवालात बस चले आओ !
आदरणीया मंजरी जी ...आज के समय के दर्द को समेटे ...और प्रेम को प्रधानता देते आह्वान करते ...बस चले आओ ...अच्छी गजल
आभार
भ्रमर ५
प्रतापगढ़
ज़िन्दगी हो गई है आवारा
क्या सवालात बस चले आओ !........वाह! बहुत खूब, यह शेर पसंद आया
बेहद शानदार गजल, बधाई स्वीकारें आदरणीया मंजरी जी
आदरनीया मंजरी जी,
गजल बहुत शानदार हे ,मुझे ये शेर बहुत अच्छा लगा -बधाई हो
अच्छी रचना हुई है। आपको हार्दिक बधाई!
सुंदर, सरल एवं मधुर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई । बहके जज्बात से चले आओ - इस तरह से कोई गजल लिखी जा सकती है क्या, जानना चाहता हूं, सादर
आदेर्नीया मंजरी जी ..सरल शब्दों में भावभरी ग़ज़ल ..एक बिरहनी के बिरह का सजीव चित्रण करती ग़ज़ल /....आपको हार्दिक बधाई
वाह्ह्ह्ह्ह वाह्ह्ह वाह्ह्ह मंजरी दीदी ,,,शानदार गज़ल ,,,क्या बात है,,,आपको अनेकानेक बधाइयाँ
सरलता इस गज़ल की खूबी है। बहुत अच्छी लगी। शत-शत बधाई।
सादर,
विजय निकोर
बहुत ही सुन्दर! हार्दिक बधाई आपको! |
मंजरी जी ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी दाद कबूलें |
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