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आओ नाचें, झूमें, गायें फिर से अब के होली में
इक-दूजे को खूब लुभायें फिर से अब के होली में।१।
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देख के जिसको मन ललचाये ज़न्नत के वाशिन्दों का
रंगों के घन खूब उड़ायें फिर से अब के होली में।२।
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जीवन में रंगत हो सब के संदेश हमें देे होली
रोते जन को यार हँसायें फिर से अब के होली में।३।
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आग सियासत चाहे कितनी यार लगाये नफरत की
प्रेम भाव से उसे बुझायें फिर से अब के होली में।४।
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दिल्ली में जो हिंदू मुस्लिम घाव लगाये बैठे हैं
उनके घावों को सहलायें फिर से अब के होली में।५।
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सदियों पहले जली होलिका यहाँ द्वेश की ज्वाला से
उसी द्वेष को चलो जलायें फिर से अब के होली में।६।
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मौलिक.अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
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# समस्त ओबीओ परिवार को पावन पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
Comment
आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन और आभार ।
आ..भाई विजय निकोर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
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जीवन में रंगत हो सब के संदेश हमें दे होली//
ये मिसरा ठीक है ।
अच्छी गज़ल कही है। हार्दिक बधाई, मित्र लक्ष्मण जी।
आ. भाई समर कबीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए आभार ।
इंगित मिसरे को यूँ किया है देखियेगा
'जीवन में रंगत हो सब के संदेश हमें दे होली '
जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,होली के संदर्भ में ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।
'जीवन में रंगत हो सब के संदेश यही है होली का'
इस मिसरे की बह्र चेक कर लें ।
आपको भी रंगोत्सव की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ ।
आ. भाई रवि जी, उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद । साथ ही पावन पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाए
आदरणीय लक्ष्मण भाई, आप को इस रचना पर हार्दिक बधाई और होली की ढेरों शुभकामनाएँ।
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