For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चलती का नाम औपचारिकता (लघुकथा)

"ठीक है, तुम भी मेरी उपेक्षा कर आगे बढ़ जाओ, मुझे कुछ फ़र्क नहीं पड़ता! बहुत सब्र है मुझमें!" सुबह की चहलक़दमी करते एक तंदुरुस्त आदमी से पतझड़ से गुज़रे सूखे दरख़्त ने कहा।


"पर उसमें भी अपने अन्य साथियों की तरह ज़रा भी सब्र नहीं है! क्या फ़ायदा उससे कुछ कहने से? उसे भी इस काम के बाद रोज़ाना की तरह दूसरे काम भी तो पूरे करना है न!" दूसरे साथी पेड़ ने उस से कहा।


"सही कहा तुमने। आज का ख़ुुुदग़र्ज़ आदमी धन-दौलत, फैशन और तरक़्क़ी की होड़ में न तो कोई रिश्ते सही तरह से निभा पा रहा है, न ही हमें और प्रकृति को निहार कर सदियों पूर्व की तरह  हमसे कोई सबक़ हासिल कर पा रहा है!" उस सूखे दरख़्त ने कुछ दुखी स्वर में कहा।


दोनों पेड़ गुजरते हुए हर उम्र के इंसानों को निहारते रहे, लेकिन किसी ने भी पल भर के लिए भी उनको न तो निहारा और न ही उनसे कुछ सीखा।


"चलो हम ही इंसानों से कुछ सबक़ ले लेते हैं। दुनिया की बदलाव की लहर में  हम ही ख़ुद को तनिक बदलने की कोशिश करते हैं!" दूसरे पेड़ ने सूखे हुए दरख़्त से स्नेहपूर्वक कहा।


"बदलने का सबक़ या बदला लेने का सबक़?" बदलती तेज़ हवा में अपनी किसी शाखा के कराहने की आवाज़ के साथ उस दरख़्त ने कहा।


"इंसान की तरह स्वार्थी, शैतान या हैवान बनना है, तो मौक़ापरस्ती के साथ सब कुछ करना सीखना ही  पड़ेगा! समझ लो कि स्वार्थपूर्तियों के लिए औपचारिकताएं निभा रहे हैं, बस!" दूसरे पेड़ ने, अपने-अपने मोबाइल सेट पर सोशल-मीडिया पर व्यस्त चहलक़दमी करने वाली एक युवा जोड़ी को निहारते हुए उस सूखे से किंतु तेज़ हवा में आत्मविश्वास के साथ लहराते हुए दरख़्त से कहा।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 592

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 18, 2018 at 11:25pm

मेरी इस ब्लॉग पोस्ट पर समय देकर इसके मर्म तक जाकर अपने विचार व प्रतिक्रिया सांझा करते हुए मेरी हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरमा जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब, जनाब समर कबीर साहिब,जनाब विजय निकोरे साहिब, जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहिब, जनाब श्याम नारायण शर्मा साहिब,मुहतरमा नीलम उपाध्याय साहिबा और मुहतरमा बबीता गुप्ता साहिबा।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 19, 2018 at 7:04pm

जनाब शहज़ाद उस्मानी साहिब आ दाब , अच्छी लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं |

Comment by vijay nikore on June 19, 2018 at 8:59am

सदैव समान आपकेी यह लघुकथा भी अच्छी बनी है। हार्दिक बधाई।

Comment by babitagupta on June 18, 2018 at 2:33pm

बेहतरीन रचना की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई,सर जी.

Comment by Samar kabeer on June 17, 2018 at 12:13pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mohammed Arif on June 15, 2018 at 2:48pm

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,

                                              इस पर्यावरणीय चिंता को दर्शाती लघुकथा के बारे में कहना चाहूँगा:-

                                  (1) मानवीकरण में लिखी गई सशक्त लघुकथा ।

                                    (2) पर्यावरणीय चिंता को प्रभावी तरीक़े से रखने में सफल कथा ।

                                      (3) पर्यावरण सुधार का आग्रह और भविष्य के प्रति गहरी चिंता ।

                                        (4) मानव की स्वार्थ लोलुपता की ओर इशारा ।

                                          (5) प्रकृति बचाव की चिंता ।

                                            (6) पात्रानुकूल संवाद और भाषा-शैली का प्रयोग ।

                                                      हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Neelam Upadhyaya on June 15, 2018 at 2:33pm

आदरणीय उसमानी जी, नमस्कार । समसामयिक प्रसंग पर अच्छी लघुकथा । हार्दिक बधाई ।

Comment by Shyam Narain Verma on June 15, 2018 at 10:31am
सुन्दर लघुकथा के लिये आपको बधाई ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
3 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी दोनों सहकर्मी है।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। कई…"
5 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मिथिलेश जी, इतना ही कहूँ,   ... ' पहचान पता न चले। बस। ' रहस्य - रोमांच…"
6 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय उस्मानी जी, लघुकथा की मार्मिकता की परख हेतु आपका दिली आभार। "
6 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा को मान देने हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय, मिथिलेश जी। "
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"उस दफ़्तर में ये अविनाश है कौन? यह संकेत स्पष्ट नहीं हो सका। चपरासी है या बाबू? स्नेहा तो…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"कारण (लघुकथा): सरकारी स्कूल की सातवीं कक्षा में विद्यार्थी नये शिक्षक द्वारा ब्लैकबोर्ड पर लिखे…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service