For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

September 2010 Blog Posts (168)

तू समझता है बदौलत तेरी है .............

तू समझता है बदौलत तेरी है
मेरे दम से ही ये इज्ज़त तेरी है

यु उजड़ता कब है कोई गुलसितां
लगता है इसमें शरारत तेरी है

तू अमीर -ऐ -शहर था मग़रूर था
हाथ फैला अब ज़रूरत तेरी है

चाहतें किस किस की है दिल में तेरे
मेरे दिल में सिर्फ चाहत तेरी है

इसलिए महफूज़ रखता हु इसे
ज़िन्दगी मेरी अमानत तेरी है

शेर महफ़िल में सुनाता है 'हिलाल '
या खुदा इस पे ये रहमत तेरी है

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 3:30pm — No Comments

ज़िन्दगी ज़िन्दगी हो गयी ......

बात उनसे कभी हो गयी

ज़िन्दगी ज़िन्दगी हो गयी



दिल्लगी आशिकी हो गयी

आशिकी बंदगी हो गयी



वो तसव्वुर में क्या आ गए

क़ल्ब में रौशनी हो गयी



जब कभी उनसे नज़रें मिली

अपनी तो मैकशी हो गयी



बात फिर से जो होनी न थी

बात फिर से वो ही हो गयी



जब कभी वो खफा हो गए

ख़त्म सारी ख़ुशी हो गयी



बादलो क जब आंसू गिरे

कुल जहाँ में नमी हो गयी



सैकड़ो घोंसले गिर गए

क्यों हवा सरफिरी हो गयी



ध्यान उनका… Continue

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 3:30pm — 5 Comments

मुक़दमा -उस्ताद की कलम से



बिस्मिल्लाह हिर्रहिमा निर्रहीम



हिलाल वजीरगंजवी (बदायूं )



हिलाल अहमद 'हिलाल ' मेरे सभी शागिर्दों में एक मुनफ़रिद मकाम के हामिल है . हिलाल , आले अहमद 'ज़ौक मुहम्मदी के फरजंद और हाफिज़ अबरार अहमद 'जाहिद मुहम्मदी के भतीजे है उन के दादा मरहूम मौलवी मुहम्मद बक्श साहब बस्ती के मशहूर पाकबाज़ शक्सीयत थे .



ज़ौक मुहम्मदी , जाहिद मुहम्मदी ने भी मुझसे शरफ तलाम्मुज़ हासिल किया और फख्र की बात ये है के मेरा और हिलाल का घराना एक… Continue

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 3:30pm — No Comments

हुस्न



तेरे हुस्न -ओ -नजाकत का बदल मै लिख नहीं सकता - कि तेरी शान में कोई ग़ज़ल मै लिख नहीं सकता



तबस्सुम और तेरे गुफ्तार के बारे में क्या लिक्खूं

तेरे सुर्खी भरे रुखसार के बारे मै क्या लिक्खू

तेरी सीरत तेरे किरदार के बारे मै क्या लिक्खू



तेरी पाजेब क़ी झंकार के बारे में क्या लिक्खू - के तेरी शान मै कोई ग़ज़ल मै लिख नहीं सकता



तेरे लहराते आँचल को मै अब तशबीह किस से दूँ

तेरी आँखों के काजल को मै अब तशबीह किस… Continue

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 3:30pm — 2 Comments

आशियाँ मेरा रखा है जब शरारों के करीब ................



आशियाँ मेरा रखा है जब शरारों के करीब

कौन दिल बहलाए फिर जाकर बहारों के करीब



कल मेरी कश्ती डुबोने में उन्ही का हाथ था

आज जो अफ़सोस करते है किनारों के करीब



ज़लज़ले में कितने बच्चे हो गए है कल यतीम

देख लो जाकर ज़रा उन बेसहारों के करीब



मेरे घर की मुफलिसी ज़ाहिर न हो दीवार से

इश्तहारों को लगाया है दरारों के करीब



क़त्ल केर दो मुझको लेकिन एक ख्वाहिश है मेरी

दफन करना मुझको मेरे… Continue

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 3:00pm — No Comments

तसव्वुफ़


क्यों कहू खुद से मै जुदा तुमको

जब के अपना बना चुका तुमको

तुम तसव्वुर में आ गए फ़ौरन

जब भी चाहा के देखता तुमको

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 3:00pm — No Comments

लगता है उसके पास कोई आईना नही

अपनी बुराइयाँ जो कभी देखता नही

लगता है उसके पास कोई आईना नही



गुलशन मे रहके फूल से जो आशना नही

उसका तो खुश्बुओ से कोई वास्ता नही



हम सा वफ़ा परस्त वतन को मिला नही

लेकिन हमारा नाम किसी से सिवा नही



मैं उससे कर रहा हू वफाओं की आरज़ू

जिस शक्स का वफ़ा से कोई राबता नही



तुम मिल गये तो मिल गयी दुनिया की हर खुशी

पास आने से तुम्हारे मेरे पास क्या नही



उनका ख्याल आया तो अशआर हो गये

अशआर कहने के लिए मैं सोचता… Continue

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 2:30pm — 2 Comments

What is the difference between Maa and other relations?


मेहनत के बावजूद जो पंहुचा मै अपने घर ,

वालिद का ये सवाल कमाया है तुने कुछ .

बीवी को और बच्चों को फरमाइशों की लत ,

बस माँ को ये ख्याल के खाया है तुने कुछ .

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 2:30pm — No Comments

मन में

मन में मंदिर होता है

तब मन भी सुंदर होता है

दुःख तो आना जाना है

क्यूँ चिंता करता रोता है

दूजे पर क्यूं हँसता है

वही काटेगा जो बोता है

पाप करेगा भोझ भी उसका

जीवन भर दिल ढोता है

पहले सोचा होता तुने

दाग लगा तब धोता है

रातों को वो जागे है

दिन भर देखो सोता है

Added by abhinav on September 19, 2010 at 2:28pm — 19 Comments

::::: गुमशुदा की तलाश :::::



एक लड़की लापता है ...

चिंताग्रस्त ...

हड्डियों के ढाँचे सी दुबली ...

सुना है घर से अकेली निकली है ...

कहती है ज़माना बदलेगी ...



दीवारों पर गुमशुदा का ...

"प्रति" जी का इश्तिहार लगा है ...

नाम छपा मानवता ...

कोई कहे यथार्थवादी डाकू ...

कोई कहे भौतिकता का डाकू ...

उठा ले गया उसे ...



लिखा है गुमशुदा के पोस्टर में ...

किसी सज्जन को मिले तो ले आना ...

मैं बोला भईया… Continue

Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on September 19, 2010 at 2:00am — 3 Comments

रोने भी नहीं देते हसने भी नहीं देते ,

रोने भी नहीं देते ,

हसने भी नहीं देते ,

मन के माफिक ये तो ,

चलने भी नहीं देते ,

कल तक था मेरे मन में ,

देश के लिए जिऊंगा ,

चल पड़ा सीना ठोक कर ,

देश का सेवा करूँगा ,

देखा एड पढ़ कर भर दी ,

आ गया बुलावा भी ,

दौड़ में मैं आगे निकला ,

गर्व हुआ अपने ऊपर ,

आकर एक जन पूछा मुझसे ,

कौन तुझे भेजा अन्दर ,

मैं डट कर बोला उनसे ,

कोई नहीं हैं मेरे ऊपर ,

बोला चलो बगल में आओ ,

आगे आपना हाथ बढ़ावो ,

ये धागा मैं बांघ देता हु… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on September 18, 2010 at 8:37pm — No Comments

वाह रे जमाना खूब मस्त काम कर दिया ,

वाह रे जमाना खूब मस्त काम कर दिया ,
सहाद में जहर मिलाकर बर्बाद कर दिया ,
बिस्वास जिनपे किये आखं बंद कर के ,
दुसमन दोस्त अपने लूटे हमदर्द बन के ,
ये काम हिंद के आग्रिम लोग कर दिया ,
वाह रे जमाना खूब मस्त काम कर दिया ,
सिखाते हैं ओ हमें अच्छा काम कर लो ,
देश के हित में तू कुछ नाम कर लो ,
क्या पता ओ भी हमें जहर ही पिलायेंगे ,
नाम होगा सहाद का मीठा जहर खिलायेगे ,
फासी पे चढाओ ऐसा घिर्नित काम किया ,
वाह रे जमाना खूब मस्त काम कर दिया ,

Added by Rash Bihari Ravi on September 18, 2010 at 8:00pm — No Comments

क्या स्वीकार कर पाएगी वह

क्या स्वीकार कर पाएगी वह ?



कोयला उसे बहुत नरम लगता है

और कहीं ठंडा ..

उसके शरीर में

जो कोयला ईश्वर ने भरा है

वह अजीब काला है

सख्त है

और कहीं गरम .!

अक्सर जब रात को आँखों में घड़ियाँ दब जाती हैं

और उनकी टिकटिक सन्नाटे में खो जाती है ..

तब अचानक कुछ जल उठता है ..

और सारे सपनों को कुदाल से तोड़

वह न जाने किस खंदक में जा पहुँचती है l





तभी पहाड़ों से लिपटकर

कई बादल… Continue

Added by Aparna Bhatnagar on September 18, 2010 at 7:00pm — 8 Comments

पहली मुलाक़ात

क़ल्ब ने पाई है राहत आप से मिलने के बाद,

हो गयी ज़ाहिर मोहब्बत आप से मिलने के बाद,

ये इनायत है नवाज़िश है करम है आपका,

बढ़ गयी है मेरी इज़्ज़त आप से मिलने के बाद,

Added by Hilal Badayuni on September 18, 2010 at 2:30pm — 1 Comment

कलयुगी मानव

देखो,
यह कलयुगी मानव,
कैसा है ?
यह कलयुगी मानव !
जिसका जीवन यंत्रो जैसा,
आखो में लालच है,
लालच इसकी न चेहरे पर भाव !
झूठ इसकी है बुनियाद !
बईमानी इसकी है आदत !
धोखा इसका है स्वभाव !
हर पल में इसका अभिनय बनता,
बातो में इसके छलावा पन !
हर पल में नया चरित्र है बनता !
देख कर अवसर वार यह करता !
रहता हरदम चोक्न्ना देखो,
यह कलियुगी मानव !
कैसा है ?
यह कलयुगी मानव !!

Added by Pooja Singh on September 18, 2010 at 1:00pm — 1 Comment

क्या हुआ ? ज़िन्दगी ज़िन्दगी ना रही

क्या हुआ ? ज़िन्दगी ज़िन्दगी ना रही
खुश्क आँखों में केवल नमी रह गई --


तुझको पाने की हसरत कहीं खो गई
सब मिला बस तेरी एक कमी रह गई |


आँधियों की चरागों से थी दुश्मनी
अब कहाँ घर मेरे रौशनी रह गई |


ना वो सजदे रहे ना वो सर ही रहे
अब तो बस नाम की बन्दगी रह गई |


अय तपिश जी रहे हो तो किसके लिए ?
किसके हिस्से की अब ज़िन्दगी रह गई |

Added by jagdishtapish on September 18, 2010 at 12:30pm — 2 Comments

आईये वाल्मीकिनगर बाघ अभ्यारण्य चलें

सहसा मेरी नज़र उस विज्ञापन पर पड़ी ,जिसमे क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी बता रहे थे ॥" सिर्फ १४११ बचे है "

उसके नीचे एक बाघ का फोटो ॥

जिन बाघों से हमारे दादा -दादी हमको डराते थे ,आज वे स्वम विलुप्त होने के कगार पर पहुँच चूके है ॥

भारत में बाघों के संरक्षण एवं प्रजनन को लेकर " टाईगर प्रोजेक्ट " की शुरुयात सन १९७३ में की गई । अब तक देश भर में २७ बाघ अभ्यारण्य काम कर रहे है ॥ वर्ष २०००-२००१ तक भारत के कुल ३७,७६१ वर्ग किलोमीटर में यह फैला हुआ है ।

मुझे कहते हुए गर्व हो रहा है कि बिहार… Continue

Added by baban pandey on September 18, 2010 at 11:22am — No Comments

माँ

एक अक्षर का एक शब्द ये, कैसे करे हम इसका गान;

सूरज चाँद सितारों से भी बढ़कर रहता जिसका मान|

वन उपवन ये झरनें नदियाँ दे न पते इतना सुख;

एक पल में ही दे देती है माँ वो सुख जितना महान||



माँ न हो तो किसी चीज की कोई भी कल्पना कैसी;

इसके बिना तो जग झूठा है, झूठी है हम सबकी शान|

एक अक्षर का एक शब्द.....................................



सुख हो या दुःख सबमे रखती है अपने बच्चों को खुश;

सब कुछ सहती पर रखती है नित्य प्रति बच्चों का ध्यान |

एक अक्षर का… Continue

Added by आशीष यादव on September 18, 2010 at 12:04am — 5 Comments

मुक्तिका सत्य संजीव 'सलिल'

सत्य



संजीव 'सलिल'

*

सत्य- कहता नहीं, सत्य- सुनता नहीं?

सरफिरा है मनुज, सत्य- गुनता नहीं..

*

ज़िंदगी में तुम्हारी कमी रह गयी.

सिर्फ कहता रहा, सत्य- चुनता नहीं..

*

आह पर वाह की, किन्तु करता नहीं.

दाना नादान है, सत्य- धुनता नहीं..

*

चरखा-कोशिश परिश्रम रुई साथ ले-

कातता है समय, सत्य- बुनता नहीं..

*

नष्ट पल में हुआ, भ्रष्ट भी कर गया.

कष्ट देता असत, सत्य- घुनता नहीं..

*

प्यास हर आस दे, त्रास सहकर… Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on September 17, 2010 at 10:30pm — 2 Comments

ग़ज़ल

ग़ज़ल

by Tarlok Singh Judge

गिर गया कोई तो उसको भी संभल कर देखिये

ऐसा न हो बाद में खुद हाथ मल कर देखिये



कौन कहता है कि राहें इश्क की आसन हैं

आप इन राहों पे, थोडा सा तो चल कर देखिये



पाँव में छाले हैं, आँखों में उमीन्दें बरकरार

देख कर हमको हसद से, थोडा जल कर देखिये



आप तो लिखते हो माशाल्लाह, बड़ा ही खूब जी

कलम का यह सफर मेरे साथ चल कर देखिये



क्या हुआ दुनिया ने ठुकराया है, रोना छोडिये

बन के सपना, मेरी आँखों में मचल कर… Continue

Added by Tarlok Singh Judge on September 17, 2010 at 9:27pm — 2 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
9 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
12 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service