Posted on July 1, 2011 at 11:59am
मिटटी ...
नर्म होती है
जब गीली होती है
पक जाती है वह
जब आग पर
रंग ,रूप आकार नहीं बदलती //
बांस ...
जब कच्चा होता है
जिधर चाहो ,मोड़ दो
पक जाने पर
नहीं मुड़ेगा //
आदमी ...
कब पकेगा
मिटटी की तरह
बांस की तरह
शायद कभी नहीं क्योकि
दिल तो बच्चा है जी //…
Posted on December 28, 2010 at 11:00am — 2 Comments
Posted on November 29, 2010 at 1:20pm
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
Comment Wall (11 comments)
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
obo के महाइवेंट में आपकी "कविता चलो मिल दीप जलावें" पढने की बहुत इच्छा थी ...जब कविता की कुछ पंक्तियों में साम्य हो तो उत्सुकता जगती है ..वैसे आपकी कविता में जो पैनापन होता है..मन को रुचता है ..but I could not find this poem ...
आपका
ब्रिजेश त्रिपाठी
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
प्रधान संपादकयोगराज प्रभाकर said…
View All Comments