2122 2122 212
इस कदर था इश्क़ में डूबा हुआ।
चढ़ गया सूली पे वो हँसता हुआ।।
अब कहूँ क्या इश्क़ में क्या क्या हुआ।
हर कदम पर इक नया धोखा हुआ।।
जब किसी को इश्क़ में धोखा हुआ।
फिर उसे देखा नहीं हँसता हुआ।।
क्या बताऊँ मैं तुझे क्या क्या हुआ।
है मेरा जीवन बहुत उलझा हुआ।।
और कुछ तेरे सिवा दिखता नहीं।
इस कदर मैं तेरा दीवाना हुआ।।
मानता कब है किसी की बात वो।
वक़्त जिसका हो बुरा आया…
Added by surender insan on September 20, 2019 at 1:00pm — 2 Comments
रक्षा करते देश की,दे कर अपनी जान।
वीर जवानों का करो,दिल से तुम सम्मान।।
बाहर से उजले दिखें, मन में भरे विकार।
ऐसे लोगों पर कभी,करना न ऐतबार।।
ये माना मैं जी रहा,तेरे जाने बाद।
लेकिन मुझको हर समय,तेरी आती याद।।
जीवन के पथ पर तुम्हें,छाँव मिले या धूप।
हर पल आगे ही बढ़ो,सुख दुख में सम रूप।।
मदिरा बहुत बुरी बला,किसने की ईजाद।
इसके कारण हो रहे,कितने घर बरबाद।।
थोड़े से भी हो…
ContinueAdded by surender insan on April 4, 2019 at 2:30pm — 6 Comments
1222 1222 1222
सुकूँ वो उम्र भर पाया नहीं करतें।
बड़ों की बात जो माना नहीं करतें।।
बुजुर्गों की नसीहत ये पुरानी है।
बिना सोचे कभी बोला नहीं करतें।।
सफल होते हमेशा लोग वो ही जो।
किसी की बात सुन बहका नहीं करतें।।
जिन्हें आदत हमेशा जीतने की हो।
वो मैदां छोड़ कर भागा नहीं करतें।।
हमेशा से रहा इक ही उसूल अपना।
किसी के साथ भी धोखा नहीं करतें।।
मौलिक व अप्रकाशित
Added by surender insan on December 11, 2018 at 4:30pm — 14 Comments
2122 2122 212
गर अदब में नाम की दरकार है।
तो ग़ज़ल कोई नयी दरकार है।।
तू किसी को देख ले ग़मगीन तो।
आँख में तेरी नमी दरकार है।।
प्यार करते हो मुझे तुम भी अगर
इक नज़र चाहत भरी दरकार है।।
एक दूजे पे हमेशा हो यकीं।
दोस्ती में बस यही दरकार है।।
ये अँधेरा दूर होगा एक दिन।
इल्म की बस रौशनी दरकार है।।
बात सच्ची ही कहें हर शेर में।
शाइरी में ये रही दरकार है।।
तुम बढ़ा…
ContinueAdded by surender insan on October 1, 2018 at 12:00pm — 6 Comments
2122 1212 22
हर समय खूब मुस्कुराता है।
दर्द वो इस तरह छुपाता है।।
वक़्त अच्छा बुरा जो आता है।
कुछ न कुछ तो सबक सिखाता है।।
दोस्त सच्चा उसे कहा जाता।
साथ जो हर कदम निभाता है।।
वो सकूँ से कभी नहीं रहता।
दिल किसी का भी जो दुखाता है।।
एक दिन ख़ुद मज़ाक बनता वो।
जो किसी का मज़ाक उड़ाता…
Added by surender insan on July 24, 2018 at 9:00pm — 8 Comments
*२१२२ २१२२ २१२*
हर जगह रहता है अपनी धाक में।
ख़ासियत देखी ये उस चालाक में।।
चीज कोई मुफ़्त में कैसे मिले।
लोग रहते आजकल इस ताक में।।
आदमी करता गुमाँ किस बात का।
एक दिन मिल जायेगा सब ख़ाक में।।
ख़ुद-ब-ख़ुद सम्मान मिलता आजकल।
आप हो जब कीमती पोशाक में।।
जब न मोबाइल किसी के पास था।
लोग लिखते हाल अपना डाक में।।
डर हमेशा उस ख़ुदा से ही लगे।
मैं नहीं रहता किसी की धाक…
Added by surender insan on March 28, 2018 at 3:00pm — 14 Comments
221 2121 1221 212
इंसानियत के तंग सभी दायरे हुए।
दिखते नहीं हैं लोग जमीं से जुड़े हुए।।
जो सुर्खियों में रहते हमेशा बने हुए।
रहते है लोग वो ही ज़ियादा डरे हुए।।
आहट हुई जरा सी बुरे वक़्त की तभी।
कुछ साँप आस्तीन से निकले छुपे हुए।।
वो इस लिये खड़ा है बुलन्दी पे आज भी।
डरता नहीं है झूठ कोई बोलते हुए।।
ख्वाबों में देखता हूँ जिसे रोज रात में।
कहता हूँ अब ग़ज़ल मैं उसे सोचते…
Added by surender insan on March 11, 2018 at 4:00pm — 28 Comments
1222 1222 122
ग़मो का इक समंदर टूटता है।
किसी का भी अगर घर टूटता है।।
मिले धोख़े पे धोख़ा जब किसी को।
तो वो अंदर ही अंदर टूटता है।।
सँभलता मुश्किलों से आदमी फिर।
भरोसा जब कहीं पर टूटता है।।
करो कोशिश भले तुम लाख यारो।
न आईने से पत्थर टूटता है।।
उजड़ते है परिंदों के कई घर।
कभी कोई भी खण्डहर टूटता है।।
यही तक़दीर में शायद लिखा हो।
जो देखूं ख़्वाब अक्सर टूटता है।।
ग़ज़ल…
ContinueAdded by surender insan on January 24, 2018 at 9:30am — 10 Comments
22 22 22 22 22 2
रिश्ता जो इक बार बनाया जाता है।
वो फिर सारी उम्र निभाया जाता है।।
ऐसे भी माहौल बनाया जाता है।
कुछ होता कुछ और दिखाया जाता है।।
ऐसा देखा यार सियासत में अक्सर।
इक दूजे को चोर बताया जाता है।।
सच हो पाए जो न किसी भी सूरत में।
क्यों अक्सर वो ख़्वाब दिखाया जाता है।।
रंग बदलते गिरगिट सा कुछ लोग यहाँ।
मतलब हो तो प्यार जताया जाता है।।
ये सच्चाई तो जग जाहिर है यारो।
जो…
Added by surender insan on January 12, 2018 at 2:30pm — 11 Comments
2122 2122 2122
एक क़तरा था समंदर हो गया हूँ।
मैं समय के साथ बेहतर हो गया हूँ।।
कल तलक अपना समझते थे मुझे जो।
उनकी ख़ातिर आज नश्तर हो गया हूँ।।
मैं बयां करता नहीं हूँ दर्द अपना।
सब समझते हैं कि पत्थर हो गया हूँ।।
ज़िन्दगी में हादसे ऐसे हुए कुछ।
मैं जरा सा तल्ख़ तेवर हो गया हूँ।।
जख़्म दिल के तो नहीं अब तक भरे हैं।
हां मगर पहले से बेहतर हो गया हूँ।।
सुरेन्द्र इंसान
मौलिक व अप्रकाशित
Added by surender insan on December 2, 2017 at 1:00pm — 23 Comments
Added by surender insan on October 14, 2017 at 8:30pm — 8 Comments
Added by surender insan on October 6, 2017 at 2:32pm — 20 Comments
Added by surender insan on August 9, 2017 at 5:00pm — 16 Comments
Added by surender insan on August 3, 2017 at 9:54am — 21 Comments
Added by surender insan on July 25, 2017 at 11:58pm — 7 Comments
22 22 22 2
सुख दुख में सम रहता हूँ।
मैं दरिया सा बहता हूँ।।
कह कर सच्ची बात यहाँ।
तंज़ सभी के सहता हूँ।।
मिट्टी की इस दुनिया में।
मिट्टी जैसे रहता हूँ।।
जैसे को तैसा मिलता।
सच यह सबको कहता हूँ।।
तल्ख़ हक़ीक़त दुनिया की।
रोज ग़ज़ल में कहता हूँ।।
मौलिक व अप्रकाशित
Added by surender insan on June 26, 2017 at 12:00am — 6 Comments
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