For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

’मदर्स-डे’ स्पेशल (मां का प्यार)

सबसे पावन, सबसे निर्मल, सबसे सच्चा मां का प्यार

सबसे अनोखा, सबसे न्यारा, सबसे प्यारा मां का प्यार ।


बच्चे को ख़ुश देख-देख के, मन ही मन हंसता रहता

जब संतान पे विपदा आए, तड़प ही उठता मां का प्यार ।


सुख की ठंडी छांव में शीतल पवन के जैसा लहराता

दुख की जलती धूप में सर पे साया बनता मां का प्यार ।


मिल जाएगा यूं तो जग में, कोई विकल्प हर रिश्ते का

बेमिसाल है, लाजवाब है, बड़ा अनूठा मां का प्यार ।


करता शीश झुका कर विनती ’शमसी’ यही विधाता से

जैसे मुझको दिया है, या रब ! सब को देना मां का प्यार ।

 ---मुईन शम्सी

Views: 508

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rajesh Kumar Singh on May 11, 2011 at 11:00am
awesome
Comment by Rajeev Mishra on May 10, 2011 at 4:22pm
बच्चे को ख़ुश देख-देख के, मन ही मन हंसता रहता

जब संतान पे विपदा आए, तड़प ही उठता मां का प्यार ।

bahut sunder panktiyan bhai jee ! shadhuwaad

Comment by moin shamsi on May 10, 2011 at 3:38pm
Abhinav ji, Sanjay Yadav ji, Ravikumar Guru ji, Bagi ji, Ajay Kumar Bohat ji... AAP SAB QADRADAANO KA DIL SE AABHAAR !
Comment by Abhinav Arun on May 10, 2011 at 3:22pm
सुख की ठंडी छांव में शीतल पवन के जैसा लहराता

दुख की जलती धूप में सर पे साया बनता मां का प्यार ।

waah moin jee bahut khoobsurat adayagi badhaae aapko ||

Comment by Sanjay Rajendraprasad Yadav on May 10, 2011 at 2:16pm
मोईन जी,
//खुबसूरत ग़ज़ल बधाई ///////////
Comment by Rash Bihari Ravi on May 10, 2011 at 1:57pm
khubsurat rachana

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 10, 2011 at 1:54pm
मोईन जी, सभी शे'र खुबसूरत लगे, सामयिक विषयों पर  आपको पढ़ना सुखद लगा, बधाई इस खुबसूरत ग़ज़ल पर |
Comment by AjAy Kumar Bohat on May 7, 2011 at 8:58pm
Mothers Day par aapki rachna, ek dum Maa ke pyaar jaisi lagi....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service