For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमको जाँ से ज़ियादा है प्यारा वतन

हमको जाँ से ज़्यादा है प्यारा वतन
सारी दुनिया से बहतर हमारा वतन
आपसी भाइचारे का हो खात्मा
कैसे करले भला ये गवारा वतन
यौमे आज़ादगी का है मंज़र हसीं
ढंक गया है तिरंगों से सारा वतन
सिर्फ़ हिन्दू मुसलमान सिख ही नहीं
सबकी जाँ सबकी आंखों का तारा वतन
दौर - ए - मुश्किल है इसकी हिफाज़त करो
दे रहा है सभी को सहारा वतन
रखिए फिरका परस्तों पे पैनी नज़र
कर नहीं दें ये फिर पारा पारा वतन
इसकी मिट्टी में शामिल है मेरा भी खूं
ये है सबका, नहीं है तुम्हारा वतन
आबरू इसकी तस्दीक ख़तरे में है
कर रहा है हमें ये इशारा वतन

(मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 395

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on September 15, 2022 at 4:43pm

जनाब तसदीक़ अहमद साहिब आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें I 

कुछ उर्दू अलफ़ाज़ के नीचे नुक़्ते लें I 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 9, 2022 at 10:22pm

देशभक्ति से परिपूर्ण बढ़िया ग़ज़ल कही जनाब तस्दीक़ जी...बधाई

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 24, 2022 at 12:16pm

जनाब सुशील सरना साहिब, ग़ज़ल पसंद करने और आपकी इस हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 24, 2022 at 12:15pm

जनाब अमीरुददीन साहिब, ग़ज़ल पसंद करने और आपकी इस हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 24, 2022 at 12:14pm

जनाब भाई लक्ष्मण धामी साहिब, ग़ज़ल पसंद करने और आपकी इस हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 23, 2022 at 8:27pm

आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सादर अभिवादन। सुन्दर देशभक्ति रचना हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 23, 2022 at 6:54pm

आदरणीय तस्दीक़ अहमद ख़ान साहिब आदाब, यौम-ए-आज़ादी का ख़ूबसूरत तराना पेश करने के लिए दिली मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं।

Comment by Sushil Sarna on August 23, 2022 at 5:26pm
वाह आदरणीय तस्दीक अहमद साहब देश भक्ति से सरोबार इस सृजन के लिए हार्दिक बधाई सर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
19 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
20 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service