For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - चाँदनी छिटकी हुई पर मन मेरा खामोश है

चाँदनी छिटकी हुई पर मन मेरा खामोश है।

बेखबर इस रात में सारा जहाँ मदहोश है।

वक्त आगे भागता, जम से गये मेरे कदम,
हाँ, सहारा दे रहा तन्हाई का आगोश है।

हँस रहा चेह्रा मेरा तुम तो बस इतना जानते,
क्योंकि गम दिल संग सीने में ही परदापोश है।

माँगता मैं रह गया, दे दो बहारों कुछ मुझे,
अनसुना कर बढ़ गईं, इसका बड़ा आक्रोश है।

अब कहाँ रौनक बची "गौरव" उमंगों की यहाँ,
घट रहा साँसों सहित धड़कन का पल-पल जोश है।

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 797

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 28, 2013 at 6:51pm

आदरणीय सौरभ सर, काफी दिन बाद ओबीओपर आ रहा हूँ। आपके अनुमोदन से रचनापर की गई मेहनत सार्थक प्रतीत हो रही है और आपके सुझावों ने तो सदा मार्गदर्शन किया है। हृदय से आभार आपका।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 14, 2013 at 12:47am

इस ग़ज़ल के लिए बधाई, भाई. 

सोच अपनी-अपनी, ख़याल अपना-अपना. 

ग़ज़ल अच्छी हुई है.

वैसे अब ग़ज़लियत पर भी ध्यान दिया करें.

शुभेच्छाएँ

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 12, 2013 at 6:21pm

आपका स्वागत है आदरणीया गीतिका दीदी, आपके सुझाव से पूरी तरह सहमत हूँ। सराहना हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद...........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 12, 2013 at 6:20pm

आदरणीय आशुतोष जी, दिल से आभार आपका, आपकी प्रतिक्रिया अत्यंत स्नेहपूर्ण एवं उत्साहवर्धक है। स्नेह बनाए रखें। सादर.......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 12, 2013 at 6:19pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीया राजेश जी, शब्द को अभी एडिट कर देता हूँ.......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 12, 2013 at 6:17pm

//बतौर पाठक मुझे उम्मीदें ज़्यादा है//

आदरणीय शिज्जू जी, ये मेरे लिए बहुत प्रसन्नता की बात है, आपकी इस एक पंक्ति ने काफी प्रेरित किया है, दिल से पुनः आभार आपका.......

Comment by वेदिका on November 12, 2013 at 5:46pm

बहुत खूब गज़ल हुयी है अजीतेंदु भैया| एक बात कहती हूँ //घट रहा साँसों सहित धड़कन का पल-पल जोश है।// सकारात्मक्ता का पुट रखिए आखिर में| 

शुभकामनायें !!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 12, 2013 at 4:36pm

कुमार जी ...उमंगें बरक़रार रखें ,, धडकनों के रफ़्तार घटने न पाए ..जब आप दूसरों के धड़कन बढाने का हुनर रखते हों ..इस रचना पर सादर बधाई के साथ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 12, 2013 at 9:14am

चेह्रा २२ सही है बस शब्द ठीक करलें मात्राएँ सही हैं आपकी ---दूसरे बसितना अलिफ् वस्ल के नियमानुसार सही है ,पहले इस पर ध्यान नहीं गया अतः ये शेर सही है बस चेहरा शब्द ठीक करलें,पुनः इस ग़ज़ल पर बधाई आपको  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 12, 2013 at 8:18am

आदरणीय मेरा इशारा शिल्प नहीं बल्कि ग़ज़ल के असर की तरफ है, बतौर पाठक मुझे उम्मीदें ज़्यादा है, ग़ज़ल आपके दिल से निकली तो पाठक के दिल तक पहुँचना चाहिये चूँकि मैं आपकी कुछ अच्छी ग़ज़लें पढ़ चुका हूँ उनकी  तुलना में इस ग़ज़ल से निराशा हुई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
10 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service