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ग़ज़ल

2122 1122 1122 22 / 112

अंधा आँखों का है हर शख़्स बता देगा तुम्हें
ख़ार खाया है ये जन्मों का दग़ा देगा तुम्हें

गुरु वो घंटाल ज़माने कभी सय्याद रहा
काट कर पर वो रखेगा जो सज़ा देगा तुम्हें

झाँसे में उसके न आया करो जानाँ कभी तुम
रहती दुनिया का दरिन्दा वो क़जा देगा तुम्हें

है नशा उसको सदारत का कई बज़्म सुना
ना तुम्हारा न वो मेरा ही जता देगा तुम्हें

है वो ख़ुदगर्ज़ निहायत कहीं हद से ज़ियादा
ख़ुद में खोया रहे हर वक्त मिटा देगा तुम्हें

घर के हालात नहीं अच्छे हैं चेतन सुनो जाँ

बदल डालो वो मुहाफ़िज़ डुबा देगा तुम्हें

प्रोफ. चेतन प्रकाश चेतन
मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by suryajeet kumar singh on December 28, 2023 at 2:29pm
बहुत खूब
Comment by Sushil Sarna on December 23, 2023 at 12:28pm
वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है । हार्दिक बधाई सर

कृपया ध्यान दे...

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