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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 59 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-60

विषय - " आस/उम्मीद "

(जब तक उम्मीद की एक भी किरण है घोर विपत्तियों में भी जिन्दगी प्राणवान रहती है, हर लम्हा आनंदघोष करता हुआ विजय की ओर अग्रसर लगता है, लेकिन जैसे ही आशा की डोर छूटी मन को नैराश्य घेर लेता है और ज़िंदगी पल पल बोझिल प्रतीत होती है. प्रत्येक मानव की ज़िंदगी इसी आशा-निराशा के दो छोरों के संतुलन को साधती हुई आगे बढ़ती है......  आइये आज इसी बहुमूल्य आशा की सत्ता  को अपनी भावनाओं से जोड़ कर ओढ़ाते हैं शब्दों का आवरण और अभिव्यक्त करते हैं अपने मन की बात कविताओं में.....)

आयोजन की अवधि- 09 अक्टूबर 2015, दिन शुक्रवार से 10 अक्टूबर 2015, दिन शनिवार की समाप्ति तक  (यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान मात्र एक ही प्रविष्टि दे सकेंगे.  
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 09अक्टूबर 2015, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

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Replies to This Discussion

आ० भाई सौरभ जी , सुन्दर और संदेशपरक दोहों के लिए कोटि कोटि बधाई और आभार .

अनुमोदन केलिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामीभाईजी.

 आदरणीय सौरभ सर अलग अलग चित्रों के माध्यम से सुन्दर प्रभावशाली दोहे कहे आपने....   इस उत्तम रचनाकर्म हेतु  आपको  बहुत- बहुत बधाई |

हार्दिक धन्यवाद, नादिर भाई. आपको प्रयास रुचिकर लगा.

शुभ-शुभ

सार्थक एवं  भावपूर्ण दोहे सभी 

हार्दिक धन्यवाद आदरणीया वैशालीजी

तुरत फुरत सार्थक सुन्दर दोहों के लिए बधाई ,आदरणीय ,  कुशल गृहणी जल्दबाजी में भी अगर कुछ पका देती है तो वो स्वादिष्ट ही होता है ,वहीँ पर किताबों से पढ़कर या कुकरी क्लास से सीखकर  पूरी तैयारी से बनाये गए भोजन में भी कभी कभी वो बात नहीं बन पाती 

ऐसा हमारे साथ भी होता है, आदरणीया प्रतिभाजी. आपको रचना रुचिकर लगी इस हेतु हार्दिक धन्यवाद 

ढलता दिन संसार से करता है ताकीद
बची रहे संभावना, बची रहे उम्मीद

वाह आदरणीय सौरभ जी बहुत ही सुंदर संदेशपरक और सार्थक दोहों प्रस्तुति से हृदय आनंदित हुआ। आपका सृजन सदा शीतल बयार का अनुभव कराता है। प्रदत विषय को सार्थक करती आपकी लेखनी एवं कल्पनाशीलता को हृदयतल से बधाई।

ढलता दिन संसार से करता है ताकीद
बची रहे संभावना, बची रहे उम्मीद .
हर ढलते दिन के साथ आनेवाले दिन की आस रहती है ,
सुन्दर एवं सार्थक प्रस्तुति , बधाई , आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , सादर।

आ० सौरभ जी

आन फानन में नन्दन कानन  .  आपका दोहा - अबकी फिर माँ के लिए ’फले पूत’ वरदान  i बिटिया बैठी ताड़ती बिन जनमे का मान ii बहुत ही मार्मिक बन पड़ा है . समाज का यहअभिशाप  शायद ही कभी दूर हो .दूसरा दोहा जो  तलस्पर्शी है वह है -ढलता दिन संसार से करता है ताकीद i बची रहे संभावना, बची रहे उम्मीद i i शेष  दोहे भी अपने परिवेश में प्रभावित करते हैं . सादर .

आदरणीय सौरभ जी 

आयोजन का फीता जिस तरह से आपने काटा है..उसने मुझे आश्चर्य में डाल दिया....कुछ ही मिनटों में हो गयी इस दोहा प्रस्तुति पर मैं तो भौचक हूँ.....

देख शहर की रौनकें भौंचक हुआ किसान 
भूखी बस्ती रो रही कहाँ गया सब धान.......... शहरी चकाचौंध के सापेक्ष किसान की पीड़ा की रखता ये दोहा..आस के साथ ही खिलवाड़ किये जाने के दर्द को बहुत महीनता से जीता है.

अबकी फिर माँ के लिए ’फले पूत’ वरदान 
बिटिया बैठी ताड़ती बिन जनमे का मान.............ओह! ओह! भाई की उम्मीद करते परिवार जनों के हर भाव को बर्ताव को बिना शब्द दिए बिना कहे सुने ही ताड़ जाती नन्ही बिटिया के मनोभावों को प्रस्तुत करता बहुत मर्मस्पर्शी शब्दचित्र 

बादल आये झूम कर लेकिन बरसी आग 
कहता ज़िद्दी खेत में मिहनत से मत भाग.........जिद्दी शब्द नें जिस तरह से अर्थ को सुदृढ़ संबल प्रदान किया है..उस पर बधाई

वैसे सबको है पता इस चुनाव का जोग 
पाँच बरस के नाम पर लेकिन जागे लोग..........लोग जागते भी तो अजब तरह से हैं..ये जागना होता है या दूसरी करवट लेकर फिर सो जाना..... क्या ऐसा नहीं लगता :)))

ढलता दिन संसार से करता है ताकीद 
बची रहे संभावना, बची रहे उम्मीद............ज़िंदगी हर रोज़ नयी उम्मीद के साथ शुरू होती है..ये दोहा बहुत विस्तार से इस भाव को प्रबल करता है..

इस सुन्दर प्रस्तुति पर  और आयोजन का शुभारम्भ अपनी प्रस्तूति से करने पर बहुत बहुत बधाई प्रेषित है आदरणीय 

और आभार भी 

सादर.

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"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
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"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
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"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
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"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
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"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
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"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
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"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
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"हार्दिक धन्यवाद  आभार आदरणीय अशोक भाईजी, "
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"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभाजी "
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"आदरणीय अखिलेश जी बहुत सुन्दर भाव..हार्दिक बधाई इस सृजन पर"
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