For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।


महा-उत्सव के नियमों में कुछ परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें | 

पिछले 38 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 39
विषय - सामाजिक समस्याएँ और उनका निराकरण 
आयोजन की अवधि- शनिवार 11 जनवरी 2014 से रविवार 12 जनवरी 2014 तक 

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)


तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दिए हुए विषय को दे डालें एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति. बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य-समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित पद्य-रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद  (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :-
सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक ही दे सकेंगे, ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.

सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 11 जनवरी दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 11266

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय सरिता जी, उचित समाधान बताती हुई बढ़िया कविता .

आओ अब तो इस समाज में इन्कलाब हम लायें 
नारी को हम घर समाज में अब सम्मान दिलायें
बाल बाला को शिक्षित कर दूर करें दहेज़ की प्रथा 
अपनी बेटी को भेज सुरक्षित सबकी बेटी अपनायें/

वाह !!!!!!!!!!!!!!! बधाइयाँ..............

समाज की कई समस्यायों पर सुंदर संदेशपरक रचना , बधाई स्वीकारें आदरणीया सरिता जी

ऐसी समस्याएँ विकराल रूप धारण कर लेती हैं तो सारा समाज पीढ़ियों त्रस्त रहता है.

बहुत-बहुत धन्यवाद आपकी प्रस्तुति और सहभागिता के लिए.

सादर

ओबीओ लाइव महा उत्सव , अंक – ३९ में मेरी आहुति................

 

“हम सुधरे तो युग सुधरेगा”

 

आदिकाल  के  मानव  ने  था , रखा  सभ्यता के  पथ पाँव

और  बाँटते   रहा  हमेशा  ,  अपनी  नव - पीढ़ी  को  छाँव

कालान्तर में वही सभ्यता , चरम -शिखर पर पहुँची आज

आओ हम मूल्यांकन कर लें,कितना विकसित हुआ समाज

 

नैतिकता को लील रहे  हैं, कितने  चैनल औ’ चलचित्र

दूषित  वातावरण  “पीढ़ियाँ” , कैसे खुद को रखें पवित्र   

कौन दिशा सभ्यता चली है,यह उन्नति है या अवसान

बलात्कार को  न्यौता  देते ,खुद ही उत्तेजक परिधान

 

मेहनत की  लुट रही कमाई ,  फूल रहा ‘सट्टा – बाजार’  

धन-दौलत को ‘जुआ’ खा रहा, मदिरा लूट रही घर-बार  

‘कर’ की लालच जोंक सरीखी,नशा कर रहा सेहत नाश

सत्यानाशी    सत्ताधारी ,  धरा   छोड़   देखें   आकाश

 

यदाकदा अब भी होते हैं,इस युग में भी बाल विवाह

ऐसे माता - पिता अशिक्षित, या  होते  हैं लापरवाह  

मार रहे कन्या-भ्रूणों को , वंश-वृद्धि की मन में चाह

पढ़े - लिखे ऐसे मूर्खों को , बोलो कौन दिखाये  राह

 

कहीं  चोरियाँ  कहीं  डकैती , कहीं  राह में  कटती जेब

कहीं अपहरण  कहीं फिरौती , कहीं झूठ  है कहीं फरेब

कहीं बाल-श्रमिकों का शोषण, कहीं भिखारी मांगें भीख

सदी  यातना  भुगत  रही है , सिसक रही है हर तारीख  

 

किसको  जिम्मेवार  बतायें , किसके  सर  पर  डालें दोष

किसके सम्मुख करें प्रदर्शन,प्रकट करें हम किस पर रोष

दोषारोपण छोड़  चलो हम, मिलजुल कर कर लें शुरुवात

“हम सुधरे तो युग सुधरेगा” , सोलह  आने  सच्ची  बात

 

नैतिक  शिक्षा पर  बल  देकर , बच्चों  में  डालें  संस्कार

हंसों  की  पहचान  करें  हम , और  चुनें उत्तम  सरकार

त्याग सभ्यता पश्चिम की अब, सीखें बस पूरब का ज्ञान

फिर  सोने  की  चिड़िया  होगा, अपना भारत देश महान

 

(मौलिक व अप्रकाशित )

 

 

अरुण कुमार निगम

आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)

 

 

किसको  जिम्मेवार  बतायें , किसके  सर  पर  डालें दोष

किसके सम्मुख करें प्रदर्शन,प्रकट करें हम किस पर रोष

दोषारोपण छोड़  चलो हम, मिलजुल कर कर लें शुरुवात

“हम सुधरे तो युग सुधरेगा” , सोलह  आने  सच्ची  बात -- वाह भाई श्री अरुण कुमार निगम जी | सुन्दर और सार्थक गीत रचा है |बधाई  

अय!!! हय!! हय !!! आदरणीय गुरुदेव श्री आपकी प्रस्तुति को बारम्बार पढ़ने पर भी मन तृप्त नहीं हो रहा है लालसा पुनः जग उठती है कई कई बार पढ़ गया. कथ्य, शिल्प, भाव, प्रवाह मानो नदी की भांति बहती जा रही है. पढ़ते पढ़ते कहीं और ही चला गया. प्रद्दत विषय को हर ओर से आपने तौला और प्रस्तुत किया है. एक ही रचना में कितना कुछ प्रवाहित कर दिया आपने. शिक्षा, सभ्यता, बाल विवाह, बाल श्रम, भ्रष्ठाचार, लालच, नशा, अपहरण, कन्या भ्रूण हत्या. एक एक बंद पर हृदयतल से अतिशय बधाइयाँ स्वीकारें. जय हो गुरुदेव श्री जय हो.

बड़ी देर की मेहरबाँ आते आते !!!

बहरहाल आए भी तो क्या धमाकेदार प्रस्तुति के साथ. वाह वाह वाह !! इस अद्वितीय प्रस्तुति पर आपको कोटिश: बधाई.

आदरणीय अरुण भाई , समाज की लगभग हर समस्या को आपने रचना के माध्यम से न केवल  सामने लाया बल्कि उअनका हल भी बताया है !! बहुत खूबसूरत रचाना के लिये आपको हार्दिल बधाइयाँ ॥

क्या कहने आदरणीय निगम साहब, रचना एक किन्तु कई कई मुद्दों पर बात हुई है,

//कौन दिशा सभ्यता चली है,यह उन्नति है या अवसान
बलात्कार को न्यौता देते ,खुद ही उत्तेजक परिधान//

आज सच कहना भी बड़ा कलेजा चाहता है, आधुनिकता के नाम पर लोग मुंह नोचने को तत्पर रहते हैं। मुझे यह प्रस्तुति बेहद सार्थक लगी, बहुत बहुत बधाई।

कालान्तर में वही सभ्यता , चरम -शिखर पर पहुँची आज

आओ हम मूल्यांकन कर लें,कितना विकसित हुआ समाज.........बहुत सुन्दर! मन में चिंतन के प्रश्न उठाती सुन्दर पंक्तियाँ 

सदी  यातना  भुगत  रही है , सिसक रही है हर तारीख......समाज में व्याप्त अनेकानेक विसंगतियों का असर दिखाती बहुत ही मर्मस्पर्शी पंक्ति 

दोषारोपण छोड़  चलो हम, मिलजुल कर कर लें शुरुवात

“हम सुधरे तो युग सुधरेगा” , सोलह  आने  सच्ची  बात..............बिलकुल सच !

नैतिक  शिक्षा पर  बल  देकर , बच्चों  में  डालें  संस्कार

हंसों  की  पहचान  करें  हम , और  चुनें उत्तम  सरकार.................निराकरण की राह दिखाता बहुत सुन्दर कथ्य 

प्रदत्त विषय को सम्पूर्णता से परिभाषित करती इस रचना पर बहुत बहुत बधाई आदरणीय अरुण निगम जी 

आदरणीय अरुण भाईजी, 

वर्तमान सामाजिक कुरीतियों ,  और राजनैतिक अव्यवस्था को मैं अपनी रचना में पूरी तरह विस्तार से नहीं कह पाया था उसे आपने बेहतर तरीके से प्रस्तुत किया। अरुण भाई सारी पंक्तियाँ मेरी पसंद की हैं , अतः हार्दिक बधाई स्वीकार करें ॥

वाह! वाह! अप्रतिम! मज़ा आ गया! बहुत ही सुन्दर रचना! आपको हार्दिक बधाई! 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाशजी  दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । छंद पर आपका प्रयास सराहनीय…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । खिल उठता है बुझा हुआ मन, आते जब…"
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी चित्रानुकूल बहुत सुन्दर छंद सृजन। हार्दिक बधाई "
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह...दीपोत्सव के हर आयाम को समेट लिया है आपके इस गीत ने।अंतिम छंद का भाव बहुत सार्थक। हार्दिक बधाई…"
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी एस टी का जिक्र रोचक बन पड़ा है। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । सरसी छंद की बीस पंक्तियों के लिए…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ हर बरस हर नगर में होता, अरबों का व्यापार।         …"
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  ______ जगमग दीपों वाला उत्सव,उत्साहित बाजार। जेब सोच में पड़ी हुई है,कैसे पाऊँ…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"चार पदों का छंद अनोखा, और चरण हैं आठ  चौपाई औ’ दोहा की है, मिली जुली यह ठाठ  विषम…"
15 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार। आए  लेने  नन्हे-मुन्ने,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service