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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-35 (विषय: दिवास्वप्न)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-35 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. गोष्ठी के पिछले 34 अंकों में हमारे साथी रचनाकारों ने जिस उत्साह से इसमें हिस्सा लिया और इसे सफल बनाया, यह वास्तव  में हर्ष का विषय हैI कठिन विषयों पर भी हमारे लघुकथाकारों ने अपनी उच्च-स्तरीय रचनाएँ प्रस्तुत कींI विद्वान् साथिओं ने रचनाओं के साथ साथ उनपर सार्थक चर्चा भी की जिससे रचनाकारों का भरपूर मार्गदर्शन हुआI इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है:
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-35
विषय: "दिवास्वप्न"
अवधि : 27-02-2018  से 28-02-2018 
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अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
5. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
6. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
7. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
8. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
9. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
10. गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI    
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

गोष्ठी का शुभारंभ करने हेतु हार्दिक बधाई आ.ओम प्रकाश सर जी।कथा पर गुणीजनों की टिप्पणियां मनन योग्य हैं।सादर।

आदरणीय जानकी वाही जी आप सभी के सुझाव मान्य है. 

 सुन्दर कथा पर प्रदत्त विषय से न्याय करने में थोड़ी कमी रह गई   हार्दिक बधाई आदरणीय ओमप्रकाश जी 

कथा कमजोर है. आप की बात से सहमत हूँ. आभार आप का .

आदरणीय ओमप्रकाश जी, आयोजन के शुभारम्भ हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. आपकी लघुकथा के सन्दर्भ में गुणीजन काफी कुछ कह चुके हैं. एक बात मैं भी जोड़ना चाहूँगा कि टेलीफ़ोन बनाने आया व्यक्ति जब यह देखेगा कि फ़ोन पर सामने वाला बात कर रहा है तो दो चीजें होंगी, या तो वह समझ जाएगा कि वो झूठ बोल रहा है या तो समझेगा कि उसे फ़ोन के गड़बड़ होने की झूठी ख़बर मिली थी. ये दोनों बातें एक साथ नहीं हो सकतीं किन्तु आपकी रचना में यह चीज नज़र आ रही है. आप चाहें तो इसे इस तरह दूर कर सकते हैं. "रमन ने जवाब दिया, ''साहब जी! मुझे शिक़ायत मिली थी कि आप का टेलीफ़ोन गड़बड़ है पर लगता है यह सही काम कर रहा है.''" कथा को यहीं समाप्त करना भी मेरे हिसाब से उचित रहेगा. सादर.

आदरणीय महेंद्र कुमार जी . आप की विस्तृत समीक्षा पढ़ आकर मज़ा आ गया. आप का प्रेम है कि आप ने अनुकूल सुझाव भी  दिया.

आदरणीय भाई ओमप्रकाश जी, आपकी रचना किसी चिरलरिचित 'किस्से' पर आधारित है या नहीं। मैं इस पर् कोई टिप्पणी न करके ये कहना चाहूँगा कि रचना विषय को साकार नहीँ कर पा रही है। बरहाल कथा के संदर्भ में मुझे आदरणीय महेंद्र जी की टिप्पणी बहुत सारगर्भित लगी जो उन्होंने कथा के अंत के लिये सुझाई है। सुंदर प्रयास के लिये मेरी ओर से आपको हार्दिक बधाई भाई जी।

गोष्ठी के शुभ आरंभ हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय ओम प्रकाश जी।इस बार आप पूरे मन से लघुकथा नहीं लिख पाये शायद।कभी कभी ऐसा हर किसी के साथ होता है।सादर।

कभीकभी रचना निरस्त होना भी फायदा देता है आदरणीय तेजवीर जी .यह मैं पिछले ३६ साल से महसूस कर रहा हूँ. आभार आप का .

आदरणीय वीरेंदर वीर जी मेहता आप ने रचना पर अपनी टिप्पणी दे कर मेरा उत्साहवर्धन किया है. आभार आप का .

गोष्ठी का शुभारंभ करने हेतु बधाई आदरणीय ओम जी ,सादर 

आयोजन के शुभारंभ की हार्दिक बधाई! कथ्य में मौलिकता नहीं है आ० ओम प्रकाश जी,बहुत पुराना चुटकुला है ये तो।

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