आदरणीय साथिओ,
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वाह! बहुत ही उम्दा तर्क देकर पौराणिक कथा के माध्यम से आपने इस लघुकथा को कही है| बधाई स्वीकारें आदरणीय|
हार्दिक आभार आदरणीय कल्पना भट्ट जी।
आदरणीय तेज वीर जी आप ने पौराणिक विषय पर बहुत सुंदर कलम चलाई है. बधाई .
हार्दिक आभार आदरणीय भाई ओम प्रकाश जी।आपकी सराहना और सहयोग सदैव मिलता रहे, यही कामना करता हूँ।सादर।
आ. तेजवीर सिंह जी, अपनी उम्दा कल्पनाशीलता का पौराणिक पात्रों पर शानदार प्रयोग कर के आपने एक विशिष्ट लघुकथा लिखी है. दिल से ढेरों बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
हार्दिक आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी।
हार्दिक आभार आदरणीय सतविंद्र कुमार जी।
"माधव, जब अर्जुन चक्रव्यूह रचना और भेदन का अत्यंत महत्वपूर्ण वृतांत अपनी पत्नी को सुना रहा था, उस समय वह बीच में सो नहीं गयी होती तो इस धर्म युद्ध का इतिहास कुछ और ही होता"।// वाह बहुत खूब आदरणीय महाभारत की घटना पर लिखी लाजवाब कथा .हार्दिक बधाई आपको
हार्दिक आभार आदरणीय प्रतिभा पांडे जी।
बहुत ही सुंदर शिल्प से सुसज्जित रचना कही है आदरणीय तेजवीर सिंह जी सर, इस सृजन हेतु सादर बधाई स्वीकार करें| कथानक में भीष्म का यह कहना कि //सुभद्रा अधिक दोषी प्रतीत होती है//, मेरे अनुसार, चूँकि चक्रव्यूह कोई छोटी बात नहीं थी, तो उसके भेदन के बारे में सुनते-सुनते एक गर्भवती महिला का सो जाना अधिक दोषपूर्ण प्रतीत नहीं होता| यह बात अर्जुन भी फिर दोहरा सकता था| सादर विचारार्थ,
हार्दिक आभार आदरणीय चंद्रेश जी। आपकी शंका उचित है अतः उसका समाधान भी अनिवार्य है। चूँकि जिस विषय पर वार्ता चल रही थी, वह कितना महत्वपूर्ण है, यह बात प्राथमिक एवम गौड़ है।गर्भावस्था में यदि नींद अधिक आती है या रोक पाना मुश्किल होता है तो सुभद्रा को ऐसे वक्त उस चक्रव्यूह संबंधी प्रकरण को सुनाने का आग्रह ही नहीं करना चाहिये था।यह बात सर्व विदित है कि यह चक्रव्यूह वाला वृतांत अर्जुन ने सुभद्रा के विशेष आग्रह करने पर ही सुनाया था।तथा बाद में दोबारा सुनाने का आग्रह सुभद्रा ने कभी किया ही नहीं। सादर।
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