आदरणीय साथिओ,
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हार्दिक बधाई आदरणीय चन्द्रेश जी। बेहतरीन एवम लाज़वाब प्रस्तुति।
ज्योति से ज्योति
“मैं गौरव मलिक अपने होश-ओ-हवास में ये सब कह रहा हूँ |
कुछ दिनों से मैं महसूस कर रहा था कि मेरा दोस्त अतुल जो पढ़ाई में बहुत ही कमजोर था वो तथा अन्य पढ़ाई में एवरेज लड़के अचानक टेस्ट में इतने अच्छे नम्बर लायेंगे सभी के नम्बर सुनकर मुझे हैरानी होती थी फिर सोचा ये सब मुकेश सर से ट्यूशन जो पढने लगे थे उसका ही असर होगा ट्यूशन का ऑफर मेरे पास भी मेरा दोस्त अतुल लेकर आया था किन्तु मैं अपनी खुद की मेहनत पर विश्वास रखता था इसलिए उसे मना कर दिया था|
उस दिन मुकेश सर ने ट्यूशन के बाद पार्टी भी रखी थी तो अतुल के आग्रह करने पर मैं भी चला गया| पार्टी में जो सॉफ्ट ड्रिंक मैंने पिया उसके बाद मुझे नींद सी आने लगी मैं बिना कुछ और खाए घर आकर जल्दी ही सो गया|
सुबह मुझे अपनी आँखें लाल दिखाई दी बदन टूटा सा महसूस हुआ तो पार्टी की बातें याद करने लगा कुछ दिनों से इसी तरह का परिवर्तन मुझे अपने दोस्त अतुल में भी दिखाई दे रहा था उसकी आँखें भी कुछ सूजी हुई सी तथा लाल रहने लगी थी पहले जैसा एक्टिव भी नहीं दिखता था |
उसके बाद मुझे कुछ शक होने लगा तो यह बात अपने मम्मी पापा से भी शेयर की किन्तु उन्होंने अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने और ऐसे दोस्तों से दूर रहने की हिदायत देकर मुझे चुप कर दिया |किन्तु मैं चुप नहीं रहा मन ही मन कुछ फेंसला कर बैठा|
मैंने गणित में प्रोब्लम होने का बहाना बनाया और अतुल के साथ ट्यूशन ज्वाइन किया| वहाँ मैं कथित स्मरण शक्ति वर्धक ड्रिंक लेता और चुपके से गमले में डाल देता| कुछ दिन में मुझे सभी बातें स्पष्ट हो गई वहाँ मौत का कारोबार एक टीचर के जरिये से स्कूल में फैलाया जा रहा था ड्रग्स माफिया सीधे उस टीचर के संपर्क में थे जो ट्यूशन के बहाने और बच्चों को फँसाने का काम कर रहे थे| उस नेटवर्क को खत्म करने अपने इतने अच्छे कॉलेज को बदनामी के दाग से मुक्त करने का मैंने मन में बीड़ा उठाया |
मेरी यहाँ गलती यह हो गई कि अपने दोस्त अतुल को इस काम में अपने साथ लेने की कोशिश की| उसके बाद से मुझे धमकियाँ मिलने लगी अर्धवार्षिक परीक्षा में भी फेल कर दिया गया मम्मी पापा को भी लगा मैं गलत संगत में आ गया हूँ इसी लिए रोज वो भी खरी खोटी सुनाने लगे|
मैंने फिर प्रिंसीपल साहब से इस बात को शेयर किया उन्होंने चुपचाप और सबूत इकट्ठे करने को कहा तब से मैं अपने काम पर लग गया |
मैं वो सब सबूत लेकर प्रिसीपल साहब के घर जा ही रहा था कि ये एक्सीडेंट हो गया| मुझे ये तो नहीं पता कि अब मैं जिन्दगी में चल भी पाऊँगा या नहीं वो कभी पकडे जायेंगे या नहीं मुझे अफ़सोस सिर्फ इस बात का है कि इस लड़ाई में मैं अकेला हो गया हूँ अंकल”
“नहीं तुम अकेले नहीं हो पता है हम मीडिया वालों को किसने बुलाया??.... तुम्हारे दोस्त अतुल ने तुम्हारी क्लास का हर बच्चा तुम्हारे लिए बाहर प्रार्थना कर रहा है तथा तुम्हारी लड़ाई में सब साथ हैं तुम्हें चिंता करने की अब कोई जरूरत नहीं तुमने ज्योति जला दी है बेटे” मीडिया वाले अंकल ने गौरव के सर पर हाथ रखते हुए कहा |
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मौलिक एवं अप्रकाशित
पलटन बाज़ार (हास्य)
रामचन्दर की सब उम्मीदों पर पानी फिर गया जब अपनी हलवाई की दुकान के ठीक दूसरी तरफ एक छोटी से जगह में चाय की दुकान खोलने का सपना धराशाई हो गया जैसे ही उसने उस जगह पर बोर्ड लगा देखा जिस पर लिखा था ‘जुम्मन कसाई मीट वाला’ |
हे भगवान् ये ही दिन दिखाने थे कह कर माथा पीट लिया राम चंदर ने|
उसके बाद धीरे-धीरे जुम्मन की दुकान के आगे मुर्गियों के पिंजरे भी रखे गए
रेडीमेड गारमेंट्स की तरह बकरे भी लटका दिए गए | मक्खियाँ भी दावत को आने लगी |
सुबह सुबह रामचंदर दुकान में अगरबत्ती घुमाता तथा मन्त्र पढ़ता दूसरी तरफ जुम्मन खटके( मीत काटने वाला बड़ा छुरा ) की धार तेज करता तथा गीत गुनगुनाता | रामचंदर जैसे ही जलेबी तलता उधर जुम्मन ख़ट-ख़ट करके मीट काटता ये सब देखकर रामचंदर की आँखों में खून उतर आता|
सफाई को लेकर दोनों में अक्सर जुबानों की तलवारें चलने लगी पूरे मार्केट में उन दोनों की चर्चा मिर्च मसालों के साथ पेश की जाने लगी|
जुम्मन की दुकान से आने वाले ग्राहक को राम चंदर खड़ा भी नहीं होने देता था |
एक बार तो नौबत हाथापाई तक आ गई जब जुम्मन की मुर्गियां पिंजरे से भाग निकली जुम्मन ने कहा की पिंजरा रामचंदर ने खोला सच्चाई क्या थी राम जाने किन्तु मुर्गियों का कुछ सैर सपाटा तो हो ही गया था|
दोनों दिन में दस बार एक दूसरे को घूर न लें तब तक मन नहीं भरता था|
जैसे तैसे दिन गुजर रहे थे शहर में अन्य स्थानों पर तो अतिक्रमण रोक अभियान चल ही रहा था कि आज सुबह
अचानक पलटन बाज़ार में भी कुछ दुकानों पर नोटिस चिपक गया रामचंदर और जुम्मन की दुकानें भी चपेट में आ गई|
ऐसा पहला दिन था जब दोनों एक दूसरे को घूरे नहीं बल्कि अपने अपने नोटिस को देख कर सर पकड़ के बैठ गए|
आस पास के लोग मजे भी ले रहे थे कुछ सहानुभूति भी जता रहे थे|
जुम्मन ने सब लोगों को इकट्ठा होकर विरोध करने के लिए उकसाया रामचंदर को भी बुलाया अन्य दुकानदार भी साथ हो लिए किन्तु हैरत की बात थी कि सबसे आगे रामचन्द्र और जुम्मन हाथ पकड़ कर नारे लगाते हुए चल रहे थे|
इसी बीच जुम्मन ने पूछा “जनाब रामचंदर साहब यदि दुकान हाथ से निकल गई तो आप अपनी दुकान कहाँ खोलने का इरादा रखते हैं” ???
सुनते ही रामचंदर का चेहरा तमतमा गया बाकि सब लोग ठहाका मार कर हँसने लगे|
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हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी। बेहतरीन एवम लाज़वाब प्रस्तुति।
आपका बहुत बहुत आभार आद० तेजवीर सिंह जी |
बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीया राजेश दी हार्दिक बधाई आपको |
आपका बहुत बहुत आभार प्रिय कल्पना जी
अच्छी लघुकथा है आ० राजेश कुमारी जी, हार्दिक बधाईI
आपका बहुत बहुत आभार आद० योगराज जी
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