आदरणीय साथिओ,
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बहुत ही लाजवाब लघुकथा है आ० कल्पना भट्ट जी, प्रदत्त विषय बहुत ही बेहतरीन ढंग से उभर कर सामने आया हैI पहली बार पढने पर बूढ़े क़ैदी का अंतिम संवाद मुझे अनावश्यक लगा, लेकिन गौर से सोचने समझने पर यही संवाद कथा की विशेषता लगाI यदि क़ैदी नम्बर 12 के अंतिम संवाद पर कथा समाप्त कर दी जाती तो “आँख के बदले आँख” वाला एक नकारात्मक सन्देश जाता. क़ैदी नम्बर 12 का मौन रह जाना भी बिना कुछ कहे बहुत कुछ कह गया. इस अर्थगर्भित प्रस्तुति पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करेंI
वाह्ह्ह्ह बहुत खूब अच्छी लघु कथा लिखी है प्रिय कल्पना भट्ट जी दिल से बधाई स्वीकार करें
हार्दिक बधाई आदरणीय कल्पना भट्ट जी।बढ़िया लघुकथा।
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