आदरणीय साथिओ,
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हार्दिक आभार आदरणीय वीर मेहता जी।आपको भी दिवाली की हार्दिक शुभ कामनायें।
चुनाव के समय तो कोई भी वादा कर देते हैं राजनेता, बहुत बढ़िया| बधाई आपको इस रचना के लिए
हार्दिक आभार आदरणीय विनय जी।आपको भी दिवाली की हार्दिक शुभ कामनायें।
हार्दिक आभार आदरणीय सत्य नारायण जी।आपको भी दिवाली की हार्दिक शुभ कामनायें।
हार्दिक आभार आदरणीय सतविंदर जी।आपको भी दिवाली की हार्दिक शुभ कामनायें।
सरकारी भोंपू ऐसा ही है। समय और स्थान देख कर बजता है। मेरी तरफ से इस लघुकथा के लिए आपको हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह जी।
हार्दिक आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी।आपको भी दिवाली की हार्दिक शुभ कामनायें।
आ० तेजवीर सिंह जी, ज़बरदस्त लघुकथा हुई हैI प्रदत्त विषय को जिस खूबी से आपने परिभाषित किया है, वह काबिल-ए-दाद हैI मेरी हार्दिक बधाई प्रेषित है, स्वीकार करेंI
हार्दिक आभार आदरणीय योगराज भाई जी। आज हम जो कुछ भी लिख पा रहे हैं, वह सब आपके ही सद प्रयासों का परिणाम है। सादर।
दुश्मन
‘’दादी , बाहर कोई औरत आपको पूछ रही है, कह रही है आप दीये लेती हैं उससे I’’ पोते की बात से अम्मा का चेहरा खिल गया I
“ अरे हाँ हाँ, रोकना उसे “
दिवाली की तैयारियों में इस बार अम्मा हाशिये पर आ गयी थी I सारी खरीदारी बहू ही कर रही थी वो भी घर बैठे I
“ अम्मा अब क्या लेना है ? सब तो ले लिया “ बहू को अनदेखा कर अम्मा बाहर आ गयी I
“ अरे रमिया i कहाँ रह गयी इस बार ? हर दिवाली दीये तो मै तुझसे ही लेती हूँ ,पता है ना तुझे “ अधेड़ उम्र की रमिया से आत्मीयता से मिलती अम्मा धप्प से छोटे मोढ़े में धंस गई I
“वो अम्मा..” रमिया झिझकते हुए साथ आये बेटे को देखने लगी I
“अम्मा जी हम तो बस आपसे मिलने आये हैं” बेटा आगे आ गयाI
“ मतलब “ ?
“हम गाँव जा रहे हैं अपने I वहीँ कुछ काम करेंगेI, दीये सकोरो के धंधे में रोटी के लाले हो गए हैं अम्मा” I उसकी आवाज में हताशा थी I
“नहीं ऐसा नहीं है I कितना अच्छा काम है तेरी माँ का i”
“कहाँ अम्मा i बड़ी दुकानों को अब कोई नहीं पूछता , हम तो कुछ भी नहीं हैं I अब तो बस फोन में ऊंगली दबाई और पूरा बाजार घर पर हाजिर”I पीछे आ खड़ी बहू निशा ने अपने फोन पर टिक गईं उसकी जलती निगाहें महसूस कर लींI
“ अम्मा चलते हैं “ रमिया ने अम्मा के पैर छुएI
“अरे रुक तो ज़रा “ मोढ़े से उठने की कोशिश में अम्मा जोर से चिल्लाई “ निशा , इस मुए पर ऊँगलियाँ फेरना बंद कर, इसे परे फेंक और मुझे उठा “I इस चीख में रमिया और बेटे की चीख भी सुन ली थी निशा ने I
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