For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत: तब तुम कोई गीत लिखना प्रिये!

जब पीड़ा आसुओं को मात दे,
और संभाले ना संभले मन।
जब यादें मेरी दिल पर दस्तक दें,
और बेचैन हो ये अंतर्मन।
तब तुम कोई गीत लिखना प्रिये,

मैं आऊँगी भाव बनकर ज़रूर।

जब मेरी कमी तुमको खले,
और खोजे अक्श मेरा तुम्हारा मन।
जब बोझिल हो रातें काटे ना कटे,
और नींद से आँख-मिचौली खेले नयन।
तब तुम कोई सपना सजाना प्रिये,

मैं आऊँगी तुमसे मिलने ज़रूर।

जब पतझड़ में झड़ते हो पत्ते पुरातन,
और लहरों को देख विचलित हो मन।
जब यादों के कलेवर हो गाढ़े बहुत,
और आसुओं से धुँधले हो नयन।
तब तुम कोई तस्वीर बनाना प्रिये,
मैं आऊँगी रंग भरने ज़रूर।

“मौलिक व अप्रकाशित”

Views: 536

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on January 4, 2020 at 7:27am

आदरणीय समर कबीर जी बधाई के लिए सादर आभार। सुझाव एवम् संशोधन के लिए मै विशेष रूप से आपका आभार व्यक्त करती हूं। आपकी प्रतिक्रिया का बहुत इंतजार रहता है जो आगे बढ़ने एवम् नया सीखने, लिखने की प्रेरणा देता है। सादर आभार।

Comment by Samar kabeer on January 3, 2020 at 3:32pm

मुहतरमा डॉ. गीता चौधरी जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

और संभाले ना संभले मन'

"और सँभाले न सँभले मन"

'और खोजे अक्श मेरा तुम्हारा मन'

इस पंक्ति में 'अक्श' को "अक्स" कर लें । 

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on January 2, 2020 at 2:24pm

आदरणीय प्रदीप देवीशरण जी रचना आपको पसंद आईI हार्दिक आभारI

Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on January 2, 2020 at 12:55pm

बहुत खूब गीता जी,

जब मेरी कमी तुमको खले,
और खोजे अक्श* मेरा तुम्हारा मन

*(अक्स)

और आसुओं से धुँधले हो जाएं नयन।

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on December 28, 2019 at 4:22pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बधाई के लिए सादर आभारI

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 28, 2019 at 5:16am

आ. गीता जी, सुन्दर गीत हुआ है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Feb 1
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Feb 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service