For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

करके वादा,
किसी से न कहेंगे,
दिल का दर्द मेरे जान लिया।
ढोंग था सब,
तब समझे हम कि,
महफ़िल में सरे-आम बदनाम हो गए।...........1

पहली नज़र में ही उनपर,
हम दिल अपना हार बैठे,
कहना कुछ चाहा था,
कह कुछ और गए।.......... 2

अक्सर देखा है हमने,
उनको रंग बदलते हुए,
पर हैरान हैं कि,
कोई तो पक्का होता।.......... 3


मौलिक व् अप्रकाशित।

Views: 842

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Usha on November 20, 2019 at 8:07pm

आदरणीय लक्ष्मी धामी 'मुसाफिर' जी, क्षणिकायें आपको पसंद आयीं। हृदय से आभार। सादर। 

Comment by Usha on November 20, 2019 at 8:05pm

आदरणीय विजय निकोरे जी, क्षणिकाओं पर बधाई प्रेषित करने हेतु आभार। सादर।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 20, 2019 at 4:31am

आ. उषा जी, अच्छी प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by vijay nikore on November 19, 2019 at 12:20am

इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई, मित्र ऊषा जी।

Comment by Usha on November 18, 2019 at 8:44am

आदरणीय समर कबीर साहब, मेरी क्षणिकाएँ आपको पसंद आयी। हृदय से आपका आभार। जी ज़रूर सर, 'मेरे और हमने' वाली बात पर मैं अवश्य ग़ौर करुँगी। आपसे हर बार कुछ नया सीखने का सौभाग्य प्राप्त होता है, जिससे और बेहतर कर पाती हूँ अतः आपकी टिप्पणी का इंतज़ार रहता है। आभार। सादर।

Comment by Usha on November 18, 2019 at 8:39am

आदरणीय विजय शंकर सर, मेरी क्षणिकाएँ आपको पसंद आयी। उनपर आपके द्वारा दी गयी टिप्पणी से हर्ष हुआ कि भावों का प्रदर्शन उस प्रकार हो पा रहा है जिसके लिए में प्रयत्नशील थी। हृदय से आपका आभार। सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 16, 2019 at 9:49pm


आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , बहुत बहुत धन्यवाद ! आपके इसी प्रकार तरह मार्ग - दर्शन से हम फ़ारसी और अरबी के शब्दों का सही अर्थ जान लेंगे। कुछ भी लिखने वालों को शब्द का सही प्रयोग अवश्य जानना चाहिए। मैंने तंज शब्द को हिंदी के शब्द कटाक्ष का पर्याय समझ लिया था। ह्रदय से साभार। सादर।

Comment by Samar kabeer on November 16, 2019 at 2:34pm

//व्यंग भी है , तंज भी है//

जनाब डॉ. विजय शंकर जी,अरबी भाषा में 'व्यंग' को "तंज़" कहते हैं ।

Comment by Samar kabeer on November 16, 2019 at 2:28pm

मुहतरमा ऊषा जी आदाब, अच्छी क्षणिकाएँ लिखीं आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'करके वादा,
किसी से न कहेंगे,
दिल का दर्द मेरे जान लिया।
ढोंग था सब,
तब समझे हम कि,
महफ़िल में सरे-आम बदनाम हो गए'

इस क्षणिका की तीसरी पंक्ति में 'मेरे' और 5वीं पंक्ति में 'हम' शब्द उचित नहीं,तीसरी पंक्ति में 'मेरे' की जगह "हमने" शब्द उचित होगा, ग़ौर करें ।

Comment by Usha on November 15, 2019 at 6:09pm

आदरणीय सुशील सरना जी। मेरी क्षणिकाओं पर आपकी सुन्दर-सकारात्मक टिप्पणी समेरे लिए हर्ष हर्ष व् प्रोत्साहन का विषय है। साभार।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
1 hour ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
17 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service