For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ८९

२२१२ १२१२ २२१२ १२

नाकामे इश्क़ होके अपने दर पहुँच गया
सहरा पहुँच के यूँ लगा मैं घर पहुँच गया //१

दिल टूटने की शह्र को ऐसी हुई ख़बर
दरवाज़े पे हमारे शीशागर पहुँच गया //२

उसको भी मेरे होंठ की आदत थी यूँ लगी
साक़ी के हाथ मुझ तलक साग़र पहुँच गया //३

जब भी हुई जिगर को तुझे देखने की चाह
ख़ुद चल के आँख तक तेरा मंज़र पहुँच गया //४

आओ कि खेलें इश्क़ की बाज़ी ब ख़ूने दिल
गर्दन पे तेरे हुस्न का ख़ंजर पहुँच गया //५

हैरत से साक़ी देखता था मैक़दे में मैं
पीने को फिर से करके दामन तर पहुँच गया //६

वो यूँ कि कशिशे राह में डूबे ही हम रहे
मंज़िल पे गरचे मील का पत्थर पहुँच गया //७

मरने की चाह जब भी तेरे इश्क़ में हुई
कब जह्र मेरे हाथ चुटकी भर पहुँच गया //८

महफूज़ रख सका न मैं अपने मकाँ की नींव
ख़ित्ते पे मेरे कोई क़द्दावर पहुँच गया //९

ज़ेरे जुनूने आशिक़ी हैरत नहीं कि क्यों
कोहे अमा में कोई दीदावर पहुँच गया //१०

टूटे हैं कब अमीर के घर बारिशों में राज़
बामे ग़रीब तक तो अब्ला ख़र पहुँच गया //११

~राज़ नवादवी

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

ख़िते- ज़मीन का टुकड़ा जिसपे घर बने या बनाया जा सके; कोहे अमा- अन्धकार की वादी; अब्ला ख़र- बारिश

Views: 729

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on January 6, 2019 at 11:05am

आदरणीय   Mahendra Kumar साहब, आदाब. ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का तहेदिल  से शुक्रिया. सादर. 

Comment by राज़ नवादवी on January 6, 2019 at 11:05am

आदरणीय  बृजेश कुमार 'ब्रज' साहब, आदाब. ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का तहेदिल  से शुक्रिया. सादर. 

Comment by Mahendra Kumar on January 4, 2019 at 7:28pm

नाकामे इश्क़ होके अपने दर पहुँच गया 
सहरा पहुँच के यूँ लगा मैं घर पहुँच गया 

बहुत ख़ूब! इस उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय राज़ नवादवी जी. सादर.

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 3, 2019 at 3:54pm

वाह आदरणीय राज साहब बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है...

Comment by राज़ नवादवी on January 2, 2019 at 1:19pm

जी जनाब, आपका बहुत बहुत शुक्रिया. सादर 

Comment by Samar kabeer on January 2, 2019 at 11:06am

"ख़ित्ते पे मेरे" कर दें ।

Comment by राज़ नवादवी on January 2, 2019 at 11:02am

आदरणीय समर कबीर साहब, हस्बे मामूल आपकी बेशक़ीमती इस्लाह के हम ममनून हैं. 

लेके ख़याल में किसी अहसास का चराग़ 
पहुँचा नहीं जहाँ कोई शायर पहुँच गया //१०, 
इस शेर को हटा देता हूँ. 

महफूज़ रख सका न मैं अपने मकाँ की नींव 
मेरे ख़िते पे कोई क़द्दावर पहुँच गया //९ 

इस शेर में क्या 'मेरे ख़िते' की जगह 'मेरी ज़मीं' करने से बात बन जाएगी? कृपया मार्गदर्शन करें. सादर. 

Comment by राज़ नवादवी on January 2, 2019 at 10:52am

आदरणीय  गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत '  साहब, आदाब. आपकी बेपनाह दाद ओ मुहब्बत से ममनून हुआ. आपकी सुखन नवाज़ी का तहेदिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by राज़ नवादवी on January 2, 2019 at 10:50am

 आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप साहब, आदाब. ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का तहेदिल  से शुक्रिया. सादर. 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 2, 2019 at 7:25am

आ. भाई राजनवादवी जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अदरणीय जयहिंद जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर "
27 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अदरणीय दयाराम जी नमस्कार  ग़ज़ल अच्छी हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए , बाक़ी गुणीजनों ने कह दिया…"
29 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय अजेय जी नमस्कार  ग़ज़ल अच्छी कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए गुणीजनों  की बातें कबीले…"
32 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों की…"
35 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय दयाराम जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर "
37 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर "
37 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय पूनम जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर "
40 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"गिरह का शेर अच्छा हुआ।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"जी, मार्गदर्शन के लिए आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छे अशआर हुए.........मुबारक खँडहर देख लें    "
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service