For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (रब से कीजिए दुआएं नए साल में)

ग़ज़ल (रब से कीजिए दुआएं नए साल में)
(फाइ लुन _फाइ लुन _फाइ लुन _फाइ लुन _)

रब से कीजिए दुआएं नए साल में l
अच्छे दिन लौट आएँ नए साल में l

पास आएं न आएं नए साल में l
पर न हम को भुलाएं नए साल में l

जिन अज़ी ज़ों ने उनको किया बद गुमां
उनको मत मुँह लगाएँ नए साल में l

उस पे फिरक़ा परस्तों की है बद नजर
भाई चारा बचाएँ नए साल में l

इम्तहाने वफ़ा तो बहुत हो चुके
और मत आज़मा एँ नए साल में l

नज़रें मँहगाई घर की ख़ुशी हो गई
जश्न कैसे मनाएँ नए साल में l

जाने जां दिल भी इक रोज़ मिल जाएंगे
हाथ हम से मिलाएँ नए साल में l

मुझको तरसाया पिछ्ले बरस आपने
अब तो जलवा दिखाएँ नए साल में l

ये गवारा है तस्दीक दुनिया को कब
उनके घर आएं जाएँ नए साल में l

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 5, 2019 at 1:06pm

जनाब महेंद्र कुमार साहिब, ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by Mahendra Kumar on January 4, 2019 at 7:24pm

ये गवारा है तस्दीक दुनिया को कब
उनके घर आएं जाएँ नए साल में l

नए साल पर इस बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी. सादर.

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 4, 2019 at 8:52am

जनाब ब्रजेश कुमार साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 3, 2019 at 3:49pm

वाह बहुत ही खूब आदरणीय तस्दीक़ जी..

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 2, 2019 at 9:06am

जनाब भाई लक्ष्मण धा मी साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 2, 2019 at 9:04am

मुहतरम जनाब समर साहिब आ दाब, ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I

पढ़ने में "कीजै  " ही आएगा, सही "नज्र _ए" ही है जो टाइप के वक़्त ग़लत हो गया l सादर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 2, 2019 at 7:32am

आ. भाई तस्दीक अहमद जी, नववर्ष पर सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on January 1, 2019 at 10:43pm

जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'रब से कीजिए दुआएं नए साल में l
अच्छे दिन लौट आएँ नए साल में'

मतले के ऊला मिसरे में 'कीजिये' को "कीजै" करलें और दोनों मिसरों में 'आएं' क़वाफ़ी पर भी ग़ौर करें ।

'नज़रें मँहगाई घर की ख़ुशी हो गई'

नज़रें--या नज़्र-ए-?

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 1, 2019 at 9:10pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I नए साल की मुबारक बाद क़ुबुल फरमाएं l

Comment by नाथ सोनांचली on January 1, 2019 at 8:57pm

आद0तस्दीक अहमद खान साहब सादर अभिवादन। नए साल की शुभकामनाएं प्रेषित करती बेहतरीन ग़ज़ल पर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service