For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 2122 2122 212

तोड़ डाला खुद को तेरी आशिकी के रोग में नहीं
तुम नहीं लिक्खे थे मेरी कुंडली के योग में

अब तेरी तस्वीर दिल से मिट गई है इस तरह
जैसे ईश्वर को भुला डाले कोई भवरोग में

तेरे ग़म की,इश्क़ की मूरत थी मुझमें,ढह गई
आ नहीं सकती ये मिट्टी अब किसी उपयोग में

मिल गया,कुछ खो गया, कुछ मिलके भी खोया रहा
साथ थी तक़दीर भी जीवन के हर संयोग में

चैन तेरे इश्क़ के बिन मिल नही पाया कहीं
तेरे ग़म में जो असर है योग में ना भोग में

अब किसे जाकर सुनाऊँ दर्द के ये तर्जुमा
तन्हा शाइर जल रहा है बेबसी में ,सोग में

ये समझ आता नही अपनो में बेगाना है कौन
मतलबी शर्तें जुड़ी है हर किसी सहयोग में

कर भला,होगा भला,अच्छा तू कर अच्छा मिले
ज़िन्दगी बेकार हो जाती है इस प्रयोग में

मौलिके और अप्रकाशित

Views: 747

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 19, 2018 at 4:29pm

अच्छी  ग़ज़ल हुई है भाई जी बधाई.. .. .. 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 19, 2018 at 5:49am

आ. भाई मनोज जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाइ।

Comment by मनोज अहसास on July 17, 2018 at 2:44pm

आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया

सादर

Comment by मनोज अहसास on July 17, 2018 at 2:43pm

ग़ज़ल पर अपनी महत्वपूर्ण इस्लाह के लिए आदरणीय समर कबीर साहब का हार्दिक आभार

सादर

Comment by vijay nikore on July 17, 2018 at 2:02pm

अच्छी गज़ल के लिए बधाई

Comment by Ajay Kumar Sharma on July 15, 2018 at 8:28am

बहुत सुन्दर रचना.

बधाई स्वीकार करें..

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 14, 2018 at 8:46pm

वाह लाजबाब गजल, साथ में शानदार समीक्षा भी , वाह , बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 13, 2018 at 6:03pm

वाह बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आदरणीय..बेहतरीन

Comment by Gurpreet Singh jammu on July 13, 2018 at 4:13pm

बहुत खूब आदरणीय मनोज अहसास जी ,, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही आपने

Comment by Neelam Upadhyaya on July 13, 2018 at 3:47pm

 आदरणीय  मनोज कुमार जी, बढ़िया  ग़ज़ल की पेशकश के लिए बधाई स्वीकार करें  ।  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
10 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service