For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक अतुकांत रचना :फरियाद: मनोज अहसास

एक दुआ
साथ देने की गुजारिश के साथ

जाने अबकी बार खुदाया कैसी पूर्णमासी है
चाँद के पूरे दीदार की चाहत सुलग रही है माथे पर
और पैरों को हिला रहा है डर मंज़र खो देने का
सूनी आँखे ढूंढ रही हैं अपनी क्षमता से दूर
घुटने टेके, हाथ पसारे ,दुआ सहारे
हर दम
मर्यादा से बँधे खड़े हैं
और अम्बर का कैसा नज़ारा
इन नज़रों को सता रहा है
पेड़ों के पीछे चाँद के आने की आहट से
धड़ धड़ सीना धड़क रहा है
लेकिन
जो अंधियारे ,गहरे, काले बादल गरज रहे हैं
उनसे इन आँखों को डर लगता है
निगल न जायें ढककर वो अम्बर की छाती
चाँद का चेहरा
या बरस बरस का धुल न जाये उम्मीद हमारी
हाथ पसारे ,नैन झुकाएं, घुटने टेके
तुझसे दुआएं मांग रहे हैं मेरे मौला
चाँद का चेहरा
चाँद की रौनक
चाँद की आमद
एक झौका बस मधुर हवा ऐसा आये
जिसमे उड़ जाए मालिक ये
सारे चिंताओं के बादल
सारे दुविधाओं के बादल
और दरख्तों से ऊँचा होकर
चमक उठे उम्मीद का चाँद
मेरे मालिक .........
तेरी रहमत.......
तेरे इशारे की चाहत.......

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 787

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 5, 2018 at 7:06am

अच्छी रचना हुई है हार्दिक बधाई ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 4, 2018 at 5:34pm

बहुत ही खूब भावरचना आदरणीय..

Comment by Shyam Narain Verma on April 4, 2018 at 1:23pm
बहुत खूब ॥ आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥
Comment by Samar kabeer on April 3, 2018 at 6:23pm

कोई बात नहीं,शुक्रिया प्रिय ।

Comment by मनोज अहसास on April 3, 2018 at 6:21pm

वो जल्दी में लिखा गया होगा आदरणीय समर कबीर साहब

आपको भूल जाना इतना आसान नही है

सादर

Comment by Samar kabeer on April 3, 2018 at 6:14pm

'समीर' नहीं भाई "समर",इतनी जल्दी भूल गए?

Comment by मनोज अहसास on April 3, 2018 at 6:04pm

आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार

आपके सभी सुझाव सर माथे

पूरा ध्यान दिया जाएगा

हार्दिक आभार

आदरणीय सुशील सरना जी

सादर

Comment by मनोज अहसास on April 3, 2018 at 6:03pm

हार्दिक आभार

आदरणीया नीलम जी

सादर

Comment by मनोज अहसास on April 3, 2018 at 6:02pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय समीर कबीर साहब

सादर

Comment by Sushil Sarna on April 3, 2018 at 4:34pm

आदरणीय मनोज जी अतुकांत में सुंदर और भावपूर्ण सृजन हुआ है। इसके लिए आपको हार्दिक बधाई।
सर क्षमा सहित मुझे इसमें कहीं कहीं भावों की टूटन प्रतीत होती है।
उर्दू शब्दों के बाहुल्य के कारण ये रचना उसी वातावरण की चाहत रखती है। जैसे :जाने अबकी बार खुदाया कैसी पूर्णमासी है ... यहां खुदाया के साथ यदि ईद का चाँद कह कर उसका समावेश कर दिया जाता तो पंक्ति का प्रभाव बढ़ जाता। ये पंक्ति :निगल न जायें ढककर वो अम्बर की छाती
चाँद का चेहरा .... भावों के साथ न्याय नहीं कर रही।
बरस बरस का धुल न जाये .... शायद यहां बरस बरस कर है
नैन झुकाएं ... नैन झुकाये होना चाहिए
एक झौका (झोंका ) बस मधुर हवा (का) ऐसा आये
जिसमे उड़ (जाएं) ..... मालिक ये (अनावशयक प्रयोग )

आदि-आदि ... बंधुवर ये मेरे विचार हैं हो सकता है आप ठीक हों। आप की रचना के बारे में आप अधिक समझते हैं। मुझे जो व्यक्तिगत रूप से ठीक लगा मैं आपसे साझा किया। ये सीखने और सिखाने का मंच है। कृपया मेरी किसी बात को अन्यथा न लेवें। कुछ गलत लगे तो क्षमा चाहूंगा। सादर ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बहुत बहुत आभार आ. सौरभ सर ..आप से हमेशा दाद उन्हीं शेरोन को मिलती है जिन पर मुझे दाद की अपेक्षा…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद और कामयाब अश'आर पर…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,आपको धुआ स्वीकार नहीं हैं तो यह आपका मसअला है. मैंने धुआँ क़ाफ़िया  प्रयोग में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल के फीचर किए जाने की हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  छंदों की प्रशंसा और सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service