For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारे जख्म सहलाये गये हैं

बहुत बेचैन वो पाये गए हैं ।
जिन्हें कुछ ख्वाब दिखलाये गये हैं ।।

यकीं सरकार पर जिसने किया था ।
वही मक़तल में अब लाये गए हैं।।

चुनावों का अजब मौसम है यारों ।
ख़ज़ाने फिर से खुलवाए गए हैं ।।

करप्शन पर नहीं ऊँगली उठाना ।
बहुत से लोग लोग उठवाए गये हैं ।।

तरक्की गांव में सड़कों पे देखी ।
फ़क़त गड्ढ़े ही भरवाए गये हैं ।।

पकौड़े बेच लेंगे खूब आलिम ।
नये व्यापार सिखलाये गये हैं ।।

बड़े उद्योग के दावे हुए थे ।
मिलों के दाम लगवाए गए हैं।।

मिली गंगा मुझे रोती हुई फिर ।
फरेबी जुल्म कुछ ढाये गये हैं ।।

इलेक्शन आ रहा है सोच लेना ।
तुम्हारे जख्म सहलाये गये हैं ।।

              -- नवीन मणि त्रिपाठी 

                मौलिक अप्रकाशित

Views: 796

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 18, 2018 at 12:19pm

आ0 लक्ष्मण धामी साहब आभार टाइपो में लोग दो बार लिख़ उठा है एक हटा दूंगा । आभार

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 18, 2018 at 12:18pm

भाई गुमनाम पिथौरा गढ़ी जी हार्दिक आभार

Comment by gumnaam pithoragarhi on June 12, 2018 at 1:52pm

वाह बहुत खूब ग़ज़ल हुई है भाई जी बधाई.......

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 12, 2018 at 5:37am

आ. भाई नवीन जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई । 

बहुत से लोग लोग उठवाए गये हैं ।।

इस मिसरे दो बार लोग का प्रयोग अटपटा सा लग रहा है देखियेगा ।

Comment by रक्षिता सिंह on June 12, 2018 at 12:14am

आदरणीय नवीन जी नमस्कार, 

गजल में मतला और मक़्ता दोनों ही बेहतरीन  हैं ...अच्छी  गजल के लिए बहुत बहुत बधाई ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 11, 2018 at 9:45pm

आ0 बसन्त कुमार शर्मा  सादर आभार

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 11, 2018 at 9:44pm

आ0 सुशील शरण साहब हार्दिक आभार 

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 11, 2018 at 9:43pm

आ0 नीलम उपाध्याय जी सादर आभार 

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 11, 2018 at 9:42pm

आ0 तेजवीर सिंह साहब सप्रेम आभार के साथ नमन

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 11, 2018 at 3:25pm

बहुत खूब , वाह , उत्तम करारा व्यंग्य 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
48 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
54 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service