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प्रीत रीति के खेल में ,ऐ साजन मैं हारी||  (मुक्तमणि छंद पर आधारित गीत 'राज')

पर्वत जैसे दिन कटें ,रातें लगती भारी|  

 प्रीत रीति के  खेल में ,ऐ साजन मैं हारी||

 

 अधरों पर  मुस्कान है,उर के भीतर ज्वाला|

 पीनी पड़ती सब्र की ,भीतर भीतर हाला||

बिस्तर पर जैसे बिछी,द्वी धारी कुल्हारी|

प्रीत रीति के खेल में ,ऐ साजन मैं हारी||

 

सरहद से आई नहीं, अबतक कोई पाती|  

जल जल आधी हो गई,इन नैनों की बाती||

चौखट पर बैठी रहूँ देखूँ बारी बारी|

प्रीत रीति के खेल में ,ऐ साजन मैं हारी||

 

  शीत लहर में हो गई,तन की डाली रूखी|         

उर के आँगन की लगे , तुलसी सूखी सूखी||

स्वप्न यान से भेज दो,थोड़ी धूप उधारी|   

प्रीत रीति के खेल में,ऐ साजन मैं हारी||

 

भारत माँ के फर्ज़ से, फुर्सत कभी मिले जो|

पवन परों में बांधकर,महक बदन की भेजो||  

तेरी खुशबू से हरी, होगी मन फुलवारी|

प्रीत रीति के खेल में,ऐ साजन मैं हारी||

 -----मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2018 at 6:02pm

आद, अजय गुप्ता जी ,आपको गीत पसंद आया बहुत बहुत आभार आपका .

Comment by अजय गुप्ता 'अजेय on February 6, 2018 at 5:54pm

वाह। वाह। उत्तम छंद रचना। पढ़ कर मन आनंदित हो गया। बहुत बहुत बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2018 at 5:32pm

आद० नरेन्द्र सिंह जी ,आपका बहुत बहुत आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2018 at 5:31pm

आद० बृजेश कुमार जी ,आपको गीत पसंद आया दिल से बहुत बहुत आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2018 at 5:30pm

आद० लक्ष्मण धामी भैया ,आपको गीत पसंद आया दिल से बहुत बहुत आभार .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2018 at 5:30pm

आद० सुरेन्द्र सिंह भैया ,आपको ये गीत पसंद आया मेरा लेखन सार्थक हो गया .दिल से बहुत बहुत आभार आपका .

Comment by narendrasinh chauhan on February 3, 2018 at 11:10am
खुब सुन्दर रचना...
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 2, 2018 at 8:32pm

वाह आदरणीया क्या ही खूबसूरत भाव भरे हैं...सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 1, 2018 at 6:40am

आ. राजेश दी, सादर अभिवादन। सुंदर विरह गीत हुआ है हार्दिक बधाई ।

Comment by नाथ सोनांचली on February 1, 2018 at 3:55am

आद0 बहन राजेश कुमारी जी सादर अभिवादन। बेहतरीन गीत। विरहणी के दर्द और सीमा पर लड़ने वाले जवान को उद्घृतकरती। बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर। सादर

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