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सरदी की पहली बारिश

सरदी की पहली बारिश- - - -

सरदी की पहली बारिश में

पेड़ इस तरह नहाएँ

जैसे कोई औघड़ नहाकर

गंगा से चला आए |

सरदी की पहली बारिश- - - -

धूल में साधनारत कब से

बैठा था तपस्वी !

साँसों में गरल लेकर

अमृत कलश लुटाए |

सरदी की पहली बारिश- - - -

पत्तों से यूँ गिरता पानी

ज्यों शिव की जटाएँ

पीकर गगन का अमृत

 ये धरती मुस्कुराए |

सरदी की पहली बारिश- - - -

सोमेश कुमार(मौलिक एवं अप्रकाशित)

रचना तिथि-12/12/17

 

 

 

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Comment

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Comment by नाथ सोनांचली on December 26, 2017 at 8:49am

आद0 सोमेश जी सादर अभिवादन। बढ़िया प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें।सादर

Comment by somesh kumar on December 24, 2017 at 7:45pm

स्नेहाशीष के लिए शुक्रिया आ Sameer Kabir ji evm Kalipad prsad mandal ji ,कृपया जहाँ जरूरत हो मार्गदर्शन भी दें |

Comment by Samar kabeer on December 24, 2017 at 5:00pm

जनाब सोमेश कुमार जी आदाब,अच्छी कविता लिखी,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 24, 2017 at 11:59am

आ सोमेश कुमार जी  सुन्दर कविता के लिए बधाई आपको |

Comment by somesh kumar on December 24, 2017 at 8:52am

हौसलाफजाई के लिए शुक्रिया भाई  Mohammed Arif जी 

Comment by Mohammed Arif on December 24, 2017 at 7:32am

आदरणीय सोमेश जी आदाब,

                            बिल्कुल नये प्रतीकों से सुसज्जित लाजवाब कविता । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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