For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बचपन होता कितना प्यारा
लगता है हम सबको न्यारा
भेदभाव से है अनजाना
हर गम से होता बेगाना ll

खेलकूद कर हँसता गाता
स्नेह भाव से रखता नाता
नटखट रूप सदा मन भाये
नाचे गाये और बजाये ll

गेमतड़ी औ गिल्ली डंडा
पाये जीत लगा हथकंडा
आइस पाइस छुपन छुपाई
बचपन कितना प्यारा भाई ll

बचपन का हर पन्ना सादा
सीख रहा सबसे मर्यादा
मन की झिझक मिटाता जाता
खाता पीता हँसता गाता ll

मधुर घड़ी बचपन की होती
मात पिता बिन आँखे रोती
बाल वृन्द का रूप अनोखा
देता नहीं किसी को धोखा ll

बात बात में लगे ठहाके
बचपन में हो धूम धड़ाके
खिलती जब बचपन की क्यारी
सुरभित होती दुनिया सारी ll

बचपन को सन्मार्ग दिखाओ
लुटता बचपन आज बचाओ
घर घर में करता मजदूरी
बाल वृन्द की क्या मजबूरी ll

बर्तन धोता जूठा खाता
बदले में वह क्या है पाता
भिक्षाटन चोरी करवाते
अबोध मन का लाभ उठाते ll

बचपन में ही थमा कटोरे
जुल्म करे औ नोट बटोरे
ऐसे पिता नरक में जाये
हाथ कटोरे जो पकड़ाए ll

मात पिता वैरी कहलाये
जो बच्चों से भीख मगाए
श्रम का फल कोई है पाता
बच्चा तो भूखा रह जाता ll

जन जन मिलकर आगे आएं
खोता बचपन सभी बचाएं
भविष्य उज्ज्वल अपना होगा
स्वर्णिम भारत सपना होगा ll

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 675

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on October 22, 2017 at 9:57am

आ. डॉ छोटेलाल सिंह जी, बचपन पर बहुत ही अच्छी रचना प्रस्तुत की है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 20, 2017 at 7:21am
परमादरणीय आरिफ जी सबसे पहले आप सभी को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं, आदरणीयमेरी रचना बचपन चौपाई छन्द में लिखी हुई है,आपने अपना बहुमूल्य समय दिया इसके लिये आपको दिल से साधुवाद
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 19, 2017 at 11:27pm
आदरणीय उस्मानी साहब आपको दिल से आभार, आगे से इस बात का ध्यान रखूँगा की तंकड़ त्रुटि न हो
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 19, 2017 at 11:24pm
परम आदरणीय समर साहब आपने मेरा उत्साहबर्धनकिया आपको शत शत नमन ,त्रुटियों में सुधार लाने की कोशिश करूँगा
Comment by Samar kabeer on October 19, 2017 at 5:35pm
आपको दीपावली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 19, 2017 at 3:42pm
बहुत सुंदर बाल-गीत के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ. छोटेलाल सिंह जी। कुछ एक टंकण-त्रुटियां रह गईं हैं।
Comment by Samar kabeer on October 19, 2017 at 2:43pm
जनाब डॉ.छोटेलल जी आदाब,बचपन की यादों को साझा करता सुंदर गीत लिखा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by SALIM RAZA REWA on October 19, 2017 at 9:39am
आ. ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई.
Comment by Mohammed Arif on October 19, 2017 at 8:32am
आदरणीय छोटेलाल जी आदाब, बचपन को समर्पित बेहतरीन रचना । आपने यह रचना किस छंद में लिखी है ? हार्दिक बधाई स्वीकार करें । दीपोत्सव की शुभकामनाएँ ।इ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service