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ग़ज़ल (आ गये सिमट के)

फइलात -फ़ाइलातुन -फइलात -फ़ाइलातुन


सरे राह उसने देखा जो मुझे पलट पलट के |
उसी दिन से रह गया हूँ मैं मुआशरे से कटके |

अभी रूठ कर उठे थे कि कड़क के बर्क़ चमकी
मेरी बाहों में वो सहमे हुए आ गये सिमट के |

बड़ी रात जा चुकी है कोई ख़ाक आएगा अब
शबे ग़म मेरी इधर आ तुझे रो लूँ मैं लिपट के |

जो ग़रीब हौसला है उसे होगा कुछ न हासिल
वही जाम पा सकेगा जो उठा ले ख़ुद झपट के |

जिन्हें गुमरही का डर था वही पा गये हैं मंज़िल
जिन्हें ज़ोमे आगही था वही कारवाँ हैं भटके |

मेरे साथ गामज़न है मेरा गर्दिशे मुक़द्दर
मेरे हमसफ़र तू चलना ज़रा दूर मुझ से हटके |

जिन्हें सुनके दोस्तों ने दी थी ख़ूब दाद तस्दीक़
वही शेर बे तहाशा मेरे नाक़दो को खटके |

मुआशरा--- समाज , गुम रही --भटकने
ज़ोम --गुमान , आगही--जानकारी
नाक़िद --तन्क़ीद करने वाले

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 812

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 20, 2017 at 6:09pm

जनाब ब्रजेश कुमार साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 20, 2017 at 9:19am
बहुतखूब बहुतखूब आदरणीय तस्दीक साहेब एक और खूब ग़ज़ल कही..
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 20, 2017 at 9:14am

जनाब आशुतोष साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 19, 2017 at 10:51pm
आदरणीय तस्दीक़ जी यहग़ज़ल भी बहुत उम्दा है। उर्दू शब्दों के अर्थ साथ में होने से इन्हें समझना आसान हो गया इस रचना पर भी हरदुक बधाई सादर
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 18, 2017 at 5:14pm
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, आपकी ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया, महरबानी
Comment by Samar kabeer on October 18, 2017 at 3:01pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई,बधाई आपको ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 18, 2017 at 1:50pm
जनाब नीलेश साहिब ,आपकी ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 18, 2017 at 11:38am

वाह वा ..आ. तस्दीक साहब
उम्दा अशआर हैं..
बधाई

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 18, 2017 at 10:46am
जनाब अजय साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 18, 2017 at 10:45am
जनाब दिनेश साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया

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