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दीप दान की थाती

नेह रचित इक बाती रखना

दीप दान की थाती रखना

 

जग के  अंकगणित में उलझे

कुछ सुलझे से कुछ अनसुलझे

गठबंधन कर संबंधों की

स्नेहिल परिमल पाती रखना

 

कुछ सहमी सी कुछ सकुचाई

जिनकी किस्मत थी धुंधलाई

मलिन बस्तियों के होठों पर

कलियाँ कुछ मुस्काती रखना

 

बंद खिडकियों को खुलवाकर

दहलीजों पर रंग सजाकर

जगमग बिजली की लड़ियों से

दीपमाल बतियाती रखना

 

मधुरिम मधुरिम अपनेपन का

अभिनन्दन कर उत्सव मन का

बचपन की फुलझड़ियों सी तुम

चंचल काना-बाती रखना

-मौलिक एवं अप्रकाशित

 

 

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Comment by Samar kabeer on October 15, 2017 at 9:37pm
'गणित की पुस्तक'में 'की'ही बोला जायेगा,क्योंकि 'किताब'शब्द स्त्रीलिंग है,और 'जग की अंकगणित में 'जग'और 'गणित'दोनों पुल्लिंग हैं,इसलिये 'की'नहीं हो सकता ।
'गठबंधन कर संबंधों की'वाली पंक्ति में इसके बाद वाली पंक्ति में 'पाती'शब्द स्त्रीलिंग है, तो इसे यूँ किया जा सकता है "संबंधों का गठबंधन कर"लेकिन 'गठबंधन कर संबंधों की'मेरे ख़याल से उचित नहीं,विचार किंजियेगा ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 15, 2017 at 9:28pm
बहुत ही सुमधुर रचना हुई आदरणीया..सादर बधाई
Comment by vandana on October 15, 2017 at 9:20pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय कबीर सर आपके सुझाव बहुत महत्वपूर्ण हैं सर अंक- गणित के पूर्व 'के' शब्द का ही प्रयोग होना चाहिए था सामान्यत: हम गणित की पुस्तक बोलते रहे हैं इस वज़ह से यह गलती हुई |मैं  इसमें सुधार कर लूंगी आदरणीय  किन्तु 

गठबंधन कर संबंधों की' में 'की' का सम्बन्ध ' पाती' से है गठबंधन कर संबंधों की स्नेहिल परिमल पाती रखना

तो मेरे ख्याल से यह सही होना चाहिए फिर भी आपके सुझाव अनमोल हैं तो इस दृष्टि से विचार कर बताइयेगा 

आपका कहना सही है कि शिल्प और प्रवाह सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं और अभ्यास से इसमें निखार आता है कार्यभार की अधिकता के चलते इस खामी को दूर कर पाना अभी संभव नहीं हो पा रहा फिर भी मैं मन से सीखना चाहती हूँ

इसलिए  वेकेशन का एक दिन भी प्रयोग कर पाऊं तो ख़ुशी मिलती है 

आपके सुझावों के बहुत बहुत आभारी हूँ आदरणीय 

Comment by Samar kabeer on October 15, 2017 at 7:24pm
मोहतरमा वंदना जी आदाब,दीपावली के अवसर पर गीत का अच्छा प्रयास हुआ है,इसके लिये बधाई स्वीकार करें ।
गीत में शिल्प और प्रवाह का बहुत महत्व होता है जिसका ध्यान रखना आवश्यक है,इसके अलावा व्याकरण दोष का भी ध्यान जरुरी है :-

'जग की अंकगणित में उलझे'
इस पंक्ति में 'अंकगणित'पुल्लिंग है, इसलिये ये पंक्ति यूँ होना चाहिए:-
'जग के अंकगणित में उलझे'
'गठबंधन कर संबंधों की'
इस पंक्ति में भी 'गठबंधन'और 'संबंध'दोनों पुल्लिंग संज्ञा हैं,इसलिये इसे यूँ होना चाहिए:-
'गठबंधन कर संबंधों का'
इसी तरह प्रयासरत रहें,और पटल पर अपनी सक्रियता बनाये रखें,मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं ।
Comment by vandana on October 15, 2017 at 3:52pm

 बहुत बहुत आभार आदरणीय आरिफ साहब आदरणीय शहज़ाद सर और आदरणीय सलीम सर 

Comment by SALIM RAZA REWA on October 15, 2017 at 11:42am
ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई.
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 15, 2017 at 9:45am
दीपोत्सव पखवाड़े पर बहुत सारे सार्थक आह्वान करती बेहतरीन प्रस्तुति के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय वन्दना जी।
Comment by Mohammed Arif on October 15, 2017 at 7:32am
आदरणीया वंदना जी आदाब, आपकी रचना ने दीप पर्व की हलचल और तेज़ कर दी । बहुत ही सुंदर अहसासों की कविता । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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