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अपने ग़म को मैं........संतोष

अरकान-फ़ाइलातून मफ़ाइलुन फेलुन

अपने ग़म को मैं छुपा लेता हूँ
सबकी ख़ुशियों का मज़ा लेता हूँ

दिल में जब याद का उठे तूफ़ां
तेरी तस्वीर बना लेता हूँ

सामने जब वो मेरे आता है
अपने सर को मैं झुका लेता हूँ

जब भी होता है वो ख़फ़ा मुझसे
प्यार से उसको मना लेता हूँ

दिल में जब टीस मेरे उठती है
अश्क मैं छुप के बहा लेता हूँ
#संतोष
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by santosh khirwadkar on October 1, 2017 at 2:35pm
शुक्रिया आदरणीय बृजेश जी ...
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 29, 2017 at 5:03pm
वाह वाह आदरणीय संतोष जी बड़ी ही अच्छी ग़ज़ल कही है..सादर
Comment by santosh khirwadkar on September 28, 2017 at 9:33pm
आदरणीय अफरोज़ साहब , धन्यवाद!!
भविष्य में आप की अहम सलाह को ज़रूर याद रखूँगा!!
Comment by Afroz 'sahr' on September 28, 2017 at 6:23pm
आदरणीय संतोष जी अर्कान के हिसाब से आपका मतला बह्र में नज़र नहीं आता है ।मतला यूँ होना चाहिए। ,,अपने ग़म को छुपा मैं लेताहूँ।।।बाकी गुणीजनों के आने का इंतज़ार करें । सादर,,,,,
Comment by santosh khirwadkar on September 28, 2017 at 6:05pm
आदरणीय आरिफ़ साहब शुक्रिया...
Comment by Mohammed Arif on September 28, 2017 at 5:20pm
आदरणीय संतोष खिरवड़कर जी आदाब, बहुत अच्छी ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें । विद्वानजनों की इस्लाह से ग़ज़ल में सुधार आ गया है।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 28, 2017 at 5:02pm

आ. संतोष जी,
बहर के नाम और अरकान के संयोजन के बारे में मेरी जानकारी शून्य है. मैं सिर्फ लय समझता हूँ. 
सादर  

Comment by santosh khirwadkar on September 28, 2017 at 3:32pm
निलेश जी निवेदन चाहूँगा ,क्या मेरे द्वारा लिखे गये ये अरकान सही हैं ??? या बदलाव की आवश्यकता है!!!
Comment by santosh khirwadkar on September 28, 2017 at 2:37pm
धन्यवाद निलेश जी , आप के बताये पंक्तियों को अवश्य ही ध्यान रखूँगा...
भविष्य में भी आप का मार्गदर्शन सदा अपेक्षित!!!
Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 28, 2017 at 12:20pm

अरे वाह संतोष दादा, 
हार्दिक बधाई कि आप ग़ज़ल में आ गये..
दो जगह बहर गयी है ... सुझाव नीचे दे रहा हूँ ..
.
दिल में जब याद का उठे तूफ़ां...दिल में तूफ़ान उठे याद  का जब 
.
जब भी होता है वो ख़फ़ा मुझसे..जब भी होता है  ख़फ़ा वो मुझसे
.
ग़ज़ल की दुनिया में आपके प्रथम प्रयास पर अभिनन्दन 
.

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