For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देख रिश्तों की ......संतोष

अरकान:-फाइलुन फाइलुन फाइलुन फाइलुन

देख रिश्तों की ऐसी बनावट न कर
दोस्त है दुश्मनी की मिलावट न कर

झूट कहने में हर शख़्स माहिर हुआ
सच यहाँ बोलने की दिखावट न कर

ज़ख़्म दिल के हैं दिल में उन्हें दफ़्न रख
अपने चहरे पे उनकी सजावट न कर

टूट जायेंगे रिश्ते ज़रा देर में
कच्चे धागों से इनकी बुनावट न कर

भूक से थे ये बेताब सोए अभी
देख ये जाग जायेंगे आहट न कर
#संतोष
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 587

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by santosh khirwadkar on October 8, 2017 at 11:51pm
प्रणाम आदरनीय समर साहब ....धन्यवाद!!
Comment by santosh khirwadkar on October 8, 2017 at 7:45am
हृदय से आभार आदरणीय आरिफ़ साहब
Comment by Mohammed Arif on October 8, 2017 at 7:32am
आदरणीय संतोष खिरवड़कर जी आदाब, बहुत ही मारक क्षमता वाली ग़ज़ल । हर शे'र सामयिक । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
Comment by santosh khirwadkar on October 8, 2017 at 7:19am
धन्यवाद आदरणीय सुरेन्द्र जी ....
Comment by santosh khirwadkar on October 7, 2017 at 7:49pm

शुक्रिया, आदरणीय सलीम साहब ..... 

Comment by नाथ सोनांचली on October 7, 2017 at 7:47pm
आद0 सन्तोष खैरवाड़कर जी सादर अभिवादन। बेहतरीन ग़ज़ल पर दाद के साथ दिली मुबारकबाद
Comment by SALIM RAZA REWA on October 7, 2017 at 7:11pm
जनाब संतोष जी
,ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Samar kabeer on October 7, 2017 at 7:08pm
जनाब संतोष जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
12 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
15 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
13 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
13 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
13 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
20 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service