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चाँद ढूँढ रहे हो ??......संतोष

क्यूँ आसमां में चाँद ढूँढ रहे हो,
वो मेरे पास उतर आया है

हाँथों की इन लकीरों में जैसे मेरे,
ज़िंदगी बन के चला आया है

आईना सा था वो बिल्कुल साफ़,
छूने से मेरे ,उस पर कुछ दाग़ उभर आया है

चमकता सितारा हूँ ज़मीं पर उसका,
वो आसमाँ सा ज़मीं को सजाने आया है

ये मेरी मुहब्बत ही तो है उससे,
वो मुझसे मिलने ज़मीं तक आया है

जलते हो तो जलो ए दुनियाँ वालों तुम,
वो मुझसे ईद मुबारक़ कहने आया है
#संतोष
9826052771
[मौलिक एवं अप्रकाशित]

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Comment

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Comment by santosh khirwadkar on August 11, 2017 at 7:25am
आदरणीय धामी जी ,हृदय से धन्यवाद!!!
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 11, 2017 at 7:01am
....हार्दिक बधाई।
Comment by santosh khirwadkar on August 8, 2017 at 7:46pm

प्रणाम आदरणीय समर साहब , शुक्रिया !!

आप सभी वरिष्ठों के मार्गदर्शन से कुछ न कुछ सीखने को मिल रहा हैं ! मेरे लिए प्रत्येक सलाह /विचार /प्रतिक्रिया एक पाठ हैं ,जिससे सतत कुछ सीखने का प्रयत्न जारी है !!

Comment by Samar kabeer on August 8, 2017 at 4:15pm
जनाब संतोष जी आदाब,अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।
जनाब रवि शुक्ला जी की बातों पर ध्यान दें ।
Comment by santosh khirwadkar on August 8, 2017 at 1:14pm

जी आदरणीय रवि जी नमस्कार , मै सतत इस प्रयत्न में लगा हुआ हूँ !!
आभार

Comment by Ravi Shukla on August 8, 2017 at 1:10pm

आदरणीय संतोष जी रचना का स्‍वागत है इस मंच पर हर विधा पर सीखने के लिये बहुत जानकारी है और विधा के जानकार लोग भी है आप पहले उस विधा के बारेमें उपलब्‍ध आलेख पढ लें फिर प्रयास करें तो कुछ सार्थक हो सकेगा । सादर

Comment by santosh khirwadkar on August 8, 2017 at 12:38pm

प्रणाम आदरणीय आरिफ साहब , आप के इस मार्गदशन हेतु ह्रदय से सदैव आभारी रहूँगा ! 

Comment by Mohammed Arif on August 8, 2017 at 12:31pm
आदरणीय संतोष जी आदाब, दरअसल ओबीओ सीखने-सिखाने का लब्धप्रतिष्ठित मंच है । आपकी प्रस्तुति उत्साह जगाती है । इस रचना को ग़ज़ल विधा में कहा जाय तो यह रचना बड़ी ही प्रभावोत्पादक बन सकती है । सादर ।
Comment by santosh khirwadkar on August 8, 2017 at 11:14am

आदरणीय आरिफ साहब प्रणाम , इस मंच पर स्पष्ट रूप में स्वीकार करूँ तो ये रचना किस विधा में हैं यह स्पष्ट करना मेरे लिए असंभव ही है , मुझे यह ज्ञात भी नहीं एवं अनभिज्ञ भी हूँ ! आप जैसे इस मंच पर कई जानकर लोग जो प्रत्येक विधा में अपना स्वामित्व रखते हैं ,के सानिध्य में कुछ सीखने का प्रयास भर है !!
आभार एवं धन्यवाद !!

Comment by Mohammed Arif on August 8, 2017 at 10:15am
आदरणीय संतोष जी आदाब, रचना का बेहतरीन प्रयास । मैं समझ नहीं पाया कि आख़िर यह रचना आपने कौन-सी विधा में लिखी है । स्पष्ट करने की कृपा करें ।

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