For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी आबाद मुहब्बत को मिटाने वाले

2122 1122 1122 22
मेरी आबाद मुहब्बत को मिटाने वाले ।
तू सलामत रहे यूँ छोड़ के जाने वाले ।।

चन्द रातों की मुलाकात न् सोने देगी ।
याद आएंगे बहुत नींद चुराने वाले ।।

कितना बदला है जमाने का चलन देख जरा ।
तोड़ जाते हैं ये दिल ,प्यार निभाने वाले ।।

इस तरह रूठ के जाने की जरूरत क्या थीं।
यूँ किताबों में गुलाबों को छिपाने वाले ।।

खास अशआर लिखे थे जो कभी खत में तुझे ।
क्या मिला तुझ को मेरे ख़त को जलाने वाले ।।

आज निकले वो गली से तो छुपा कर चेहरा ।
मेरी तस्वीर को आंखों में सजाने वाले ।।

रुख बदलते ही हवाओं ने सितम क्या ढाया ।
खो गए लोग मेरे नाज़ उठाने वाले ।।


प्यार का मैं हूँ मुसाफिर न् मुझे रोको तुम ।
है कई लोग यहां राह बताने वाले ।।

जिंदगी भीड़ में गुजरे ये तमन्ना मेरी ।
मेरी तन्हाई में आते हैं सताने वाले ।।

कोई सुकरात को ,शंकर तो कोई मीरा को।
ज़हर के साथ मिले लोग पिलाने वाले ।।

इश्क़ बिकता है खुले आम जरूरत पे यहां ।
शह्र में खूब हैं दूकान चलाने वाले ।।

नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 589

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 28, 2017 at 12:15am
आ0 बसन्त कुमार साहब शुक्रिया
Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 26, 2017 at 9:59am

वाह  बहुत खूब , सुंदर 

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 25, 2017 at 8:18pm
आ0 मुहम्मद आरिफ साहब सादर आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on July 25, 2017 at 8:17pm
आ0 रवि शुक्ला सर सादर आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on July 25, 2017 at 8:17pm
आ0 कबीर सर सादर नमन ।
Comment by Samar kabeer on July 25, 2017 at 6:32pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,'क़तील शिफ़ाई'की ज़मीन में ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
'याद आओगे बहुत नींद चुराने वाले'
इस मिसरे में 'आओगे'बहुवचन'और रदीफ़''वाले'एक वचन यानी शुतरगुर्बा का दोष है ।
छटे शैर में 'तश्वीर'को "तस्वीर" कर लें ।
सातवें शैर में 'नाज़'शब्द पुल्लिंग है इसलिए 'मेरी नाज़'को "मेरे नाज़" कर लें ।
Comment by Mohammed Arif on July 25, 2017 at 12:15pm
आदरणीय नवीन मणित्रिपाठी जी आदाब, बेहतरीन ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
Comment by Ravi Shukla on July 25, 2017 at 10:50am

वाह वाह आदरणीय नवीन मणि जी बहुत ही बढि़या गजल कही है आपने  हर श्‍ोर उम्‍दा  दिली मुबारक बाद कुबूल करें

सातवें शेर का सानी मिसरा

खो गये लो मेरे नाज उठाने वाले होना चाहिये देख्‍ाियेगा । सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
19 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
19 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
20 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
20 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service