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ग़ज़ल इस्लाह के लिए (गुरप्रीत सिंह)

2122 -1212 -22


आस दिल में दबी रही होगी
और फिर ख़्वाब बन गई होगी।

टूट जाए सभी का दिल या रब
दिलजले को बड़ी ख़ुशी होगी।

ज़ह्न हारा हुआ सा बैठा है
दिल से तक़रार हो गई होगी।

जिसकी खातिर लुटा दी जान उसने
चीज़ वो भी तो कीमती होगी।

जब मुड़ा तेरी ओर परवाना
शमअ बेइन्तहा जली होगी।

(मौलिक व् अप्रकाशित)

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Comment by Hari Prakash Dubey on July 16, 2017 at 5:09pm

  

आदरणीय  Gurpreet Singh जी , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई ! इस्लाह के लिए का मतलब क्या होता है ? बस एक जिज्ञासा ! सादर  

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 3:57pm

वाह बढ़िया ग़ज़ल हुई है आदरणीय गुरप्रीत जी | हार्दिक बधाई |

Comment by khursheed khairadi on July 13, 2017 at 7:31am
आदरणीय गुरप्रीत सर ,उम्दा ग़ज़ल हुई है।दिली मुबारक़बाद क़बूल फर्मावें। सादर।
Comment by Gurpreet Singh jammu on July 12, 2017 at 9:46pm
आदरणीय गोपाल नारायण जी ; सुरेन्द्र नाथ जी ,लक्ष्मण धामी जी और महेंद्र कुमार जी...इस नाचीज़ की हौसला अफजाई के लिए आप सब का तहे दिल से शुक्रिया
Comment by Gurpreet Singh jammu on July 12, 2017 at 9:43pm
आदरणीय समर सर जी..बहुत शुक्रिया ग़ज़ल पसंद करने के लिए...
जी हाँ आपने सही कहा .ये हम सब कि जिम्मेदारी है..सो मंच पर निरंतर सक्रिय रहने कि भरपूर कोशिश रहेगी
Comment by Gurpreet Singh jammu on July 12, 2017 at 9:40pm
आदरणीय बृजेश जी का भी बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Gurpreet Singh jammu on July 12, 2017 at 9:39pm
शुक्रिया आदरणीय रवी सर जी...भविष्य में बेहतर करने कि कोशिश रहेगी
Comment by Mahendra Kumar on July 12, 2017 at 8:38pm

टूट जाए सभी का दिल या रब 
दिलजले को बड़ी ख़ुशी होगी ...वाह! इस बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आ. गुरप्रीत जी. सादर.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 12, 2017 at 10:38am
आ. भाई गरप्रीत जी उम्दा गजल हुई है।हार्दिक बधाई।
Comment by नाथ सोनांचली on July 11, 2017 at 10:53pm
आद0 गुरप्रीत जी सादर अभिवादन, अच्छी गजल कहीं आपने,बधाई स्वीकारें

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