For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही गजल (मुहब्बत में अगर कोई कभी बीमार हो जाये)

बह्र 1222 1222 1222 1222

कहीं जो खेत में कमबख्त खरपतवार हो जाये
जमीं हो लाख उपजाऊ मग़र बेकार हो जाये

ज़रा सच से अगर जो रूबरू अखबार हो जाये
जगे जनता वतन की और सज़ग सरकार हो जाये

कोई घर मे अगर जयचंद सा गद्दार हो जाये
इरादे हों भले मजबूत फिर भी हार हो जाये

दवा भी बेअसर हो वैद्य भी लाचार हो जाये
मुहब्बत में अगर कोई कभी बीमार हो जाये

करें सहयोग माँ के साथ जो सब घर के कामों में
तो फिर उसके लिये भी एक दिन इतवार हो जाये

किसी के हाल पर हँसने से पहले सोच ले नादाँ
कहीं तू ख़ुद न इन हालात से दो चार हो जाये

जमीं और आसमाँ को बाँटने वालों जरा सोचों
न हो ऐसा खड़ी हर इक जगह दीवार हो जाये

छिपाते हैं अबस ही लोग बालों की सफ़ेदी को
*बुरा क्या है हकीकत का अगर इज़हार हो जाए*

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 999

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Gajendra shrotriya on May 23, 2017 at 6:18pm
आदरणीय सुरेन्द्रजी कुछ सुझाव और प्रस्तुत है।
हकीकत का नुमाइंदा अगर अखबार हो जाये
जगे आवाम सारी होश में सरकार हो जाये
दवा नाकाम चारागर बड़ा लाचार हो जाये
मुहब्बत के असर से गर कोई बीमार हो जाये
Comment by Samar kabeer on May 23, 2017 at 6:12pm
जनाब गजेंद्र जी आदाब,आपके सुझाये मिसरों पर ज़रा ग़ौर कीजिये:-

'हक़ीक़त कहने वाले देश के अख़बार हो जाये
जगे आवाम सारी होश में सरकार हो जाये'
इसमें 'देश के'शब्द में बहुवचन है,और रदीफ़ 'जाये'है, आपके मिसरे में रदीफ़ 'जाएँ'हो रही है,और सानी मिसरे में 'आवाम'ग़लत शब्द है,सही शब्द है "अवाम" ।

ये मिसरा भी देखिये :-

'दवा नाकाम चारागर सभी नाकाम हो जाये'
इस मिसरे में भी 'सभी'शब्द बहुवचन के लिये है और रदीफ़ 'जाये' एक वचन में है ,इस लिये बहतर यही है कि बिला वजह किसी को मश्विरा देने से परहेज़ करना चाहिये, या फिर सुझाव ऐसा हो कि शैर का हुस्न बढ़ जाये,आपके सुझाव से तो अच्छे ख़ासे अशआर का कबाड़ा हो गया है ।
Comment by नाथ सोनांचली on May 23, 2017 at 5:55pm
आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन, आपके हौसला अफजाई के लिए कोटिश आभार
Comment by नाथ सोनांचली on May 23, 2017 at 5:50pm
आद0 गजेन्द्र जी सादर अभिवादन। हौसला अफजाई के लिए हृदय से आभार।


आपने जो सुधार किया है उसके लिए तहेदिल से शुक्रिया। सीखने के निमित्त कुछ पूछ रहा हूँ, आप अन्यथा नही लेंगे, सादर।
हकीकत कहने वाले देश के अखबार हो जाये
जगे आवाम सारी होश में सरकार हो जाये

इस संसोधित शैर में ऊला मिसरा में 'कहने वाले' लिखने से बहुबचन हो गया तो फिर हो जाये के बजाय 'हो जायें' करना पड़ेगा जिससे रदीफ़ गड़बड़ हो जाएगा


दवा नाकाम चारागर सभी लाचार हो जाये
मुहब्बत के असर से गर कोई बीमार हो जाये

इस संसोधित शैर में भी ऊला मिसरा में सभी बहुबचन है। देखिएगा सादर
Comment by नाथ सोनांचली on May 23, 2017 at 5:50pm
आद0 गजेन्द्र जी सादर अभिवादन। हौसला अफजाई के लिए हृदय से आभार।


आपने जो सुधार किया है उसके लिए तहेदिल से शुक्रिया। सीखने के निमित्त कुछ पूछ रहा हूँ, आप अन्यथा नही लेंगे, सादर।
हकीकत कहने वाले देश के अखबार हो जाये
जगे आवाम सारी होश में सरकार हो जाये

इस संसोधित शैर में ऊला मिसरा में 'कहने वाले' लिखने से बहुबचन हो गया तो फिर हो जाये के बजाय 'हो जायें' करना पड़ेगा जिससे रदीफ़ गड़बड़ हो जाएगा


दवा नाकाम चारागर सभी लाचार हो जाये
मुहब्बत के असर से गर कोई बीमार हो जाये

इस संसोधित शैर में भी ऊला मिसरा में सभी बहुबचन है। देखिएगा सादर
Comment by Sushil Sarna on May 23, 2017 at 5:43pm

दवा भी बेअसर हो वैद्य भी लाचार हो जाये
मुहब्बत में अगर कोई कभी बीमार हो जाये

बहुत सुंदर अशआर है आपकी इस ग़ज़ल के .... हार्दिक बधाई कबूल फरमाएं।

Comment by Gajendra shrotriya on May 23, 2017 at 5:38pm
बहुत अच्छी गज़ल कही है आपने आदरणीय। सभी शेर काबिलेतारीफ है।
कुछ सुझाव गज़ल की बेहतरी के लिए यदि आप उचित समझे।
संशोधित शेर
किसी के खेत में कमबख्त खरपतवार हो जाये
जमीं हो लाख उपजाऊँ मग़र बेकार हो जाये

हकीकत कहने वाले देश के अखबार हो जाये
जगे आवाम सारी होश में सरकार हो जाये

अगर घर मे कोई जयचंद सा गद्दार हो जाये
इरादे हों भले मजबूत फिर भी हार हो जाये

दवा नाकाम चारागर सभी लाचार हो जाये
मुहब्बत के असर से गर कोई बीमार हो जाये

जरा सा हाथ बाँटे गर सभी हम माँ के कामों में
तो फिर उसके लिये भी एक दिन इतवार हो जाये

कृपया अन्यथा न लें।शुभकामनाएँ।सादर।
Comment by Gurpreet Singh jammu on May 22, 2017 at 6:21pm
जी बिल्कुल सही बात है आदरणीय
Comment by नाथ सोनांचली on May 22, 2017 at 3:07pm
आद0 गुरप्रीत भाई साहब सादर अभिवादन। आपकी गहराई से गजल में शिरकत करने और हौसला अफजाई के लिए आभार.... और भी गुणीजनों के सुझावों का इंतजार है, बाद में जो यथोचित होंगा, अवश्य सुधार करूँगा। सादर
Comment by Gurpreet Singh jammu on May 22, 2017 at 2:56pm

वाह वाह आदरणीय सुरेंद्र जी,, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने,, सभी अशआर पसंद आए, गिरह भी बढ़ी मजेदार लगी है
दूसरे शियर में "अगर" और "जो" दोनों शब्द एक साथ शायद कुछ अजीब लग रहे हैं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Vikas is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
Monday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service