For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये छुआ छूत घाव है भाई

बहर:-2122-1212-22

ये छुआ छूत घाव है भाई।।
आदमी का स्वभाव है भाई।।

उनसे रिश्ता जुड़ा जुदा तो है ।
अपना अपना झुकाव है भाई।।

लोग दर्दो गमो के मारे हैं ।
बस सजगता बचाव है भाई।।

ये बहर ही गजल का नक्शा है।
इसपे लिखना ही चाव है भाई।।

आज आमोद तुम भी रुस्वा हो।
अब ये कैसा पड़ाव है भाई।।..आमोद बिन्दौरी

Views: 504

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 11, 2016 at 7:29pm

आदरणीय आमोद जी सादर, अच्छी गजल कही है आपने. बाकी सब तो गुणीजन बोल ही चुके हैं. सादर.

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 10, 2016 at 3:54pm
बेहतरीन ग़ज़ल भाई । शह्र या बह्र लिखने पर वजन 2 1 होगा परन्तु जो शब्द आपने लिखा है वह हिंदी के आम बोलचाल के भाषा में बहार लिखा है । यदि इसका उच्चारण करके बोले तो वज्न 12 ही बनता है । फिर भी विद्वानों के मत से मैं भी सहमत हूँ । कबीर साहब विद्वान व्यक्ति हैं । उनकी बात पर ही मेरी भी मुहर है ।
Comment by Samar kabeer on September 8, 2016 at 9:34pm
जनाब आमोद श्रीवास्तव जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
मिसरों में रवानी पैदा करने पर भी ध्यान दें,जनाब शिज्जु शकूर साहिब की बात माक़ूल है ।
Comment by amod shrivastav (bindouri) on September 8, 2016 at 11:38am
आ आदाब जी सर अगली बार ख्याल रक्खेगे .....अप ने समय दिया और उत्साह दिया आप का तहेदिल से आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 8, 2016 at 10:47am

अच्छी ग़ज़ल है आ. आमोद जी बधाई स्वीकार करें, एक बात और चौथे शे'र में आपने बहर का वज्न 12 ले लिया है उर्दू के हिसाब से 21 होता है देख लीजिएगा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
22 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service