For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कितना अच्छा होता .....

कितना अच्छा होता .....

कितना अच्छा लगता है
फर्श पर
चाबी के चलते खिलौने देखकर
एक ही गति
एक ही भाव
न किसी से कोई गिला
न शिकवा
ऐ ख़ुदा
कितना अच्छा होता
ग़र तूने मुझे भी
शून्य अहसासों का
खिलौना बनाया होता
अपना ही ग़म होता
अपनी ही ख़ुशी होती
न लबों से मुस्कराहट जाती
न आँखों में नमी होती
सब अपने होते
हकीकत की ज़मीं न होती
ख़्वाबों का जहां न होता
बस ऐ ख़ुदा
तूने हमें भी वो चाबी अता की होती
तो न कोई तड़प होती
न कोई अरमां होता

ये
दिल
दर्द से आशना होता

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 977

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on September 21, 2016 at 12:33pm

आदरणीय  Ashok Kumar Raktale   जी प्रस्तुति में निहित भावों को मान देने का हार्दिक आभार। 

आपकी आत्मीय बधाई एवम स्नेह का दिल से आभार।

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 20, 2016 at 10:19pm

आदरणीय सुशील सरना साहब सादर नमस्कार, बहुत सुंदर दिल को छूती रचना की है आपने. जिंदगी में कई बार ऐसी बातें  हो जाती हैं की आदमी सोचता है वह खिलौना होता तो अच्छा होता. कोई भी यूं ही खिलौना हो जाना नहीं चाहता. बहुत-बहुत बधाई. सादर.

Comment by Sushil Sarna on September 20, 2016 at 12:37pm

आदरणीय   अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव  जी प्रस्तुति में निहित भावों को मान देने का हार्दिक आभार। 

आपकी आत्मीय बधाई एवम स्नेह का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on September 20, 2016 at 12:37pm

आदरणीय  Dr Ashutosh Mishra  जी प्रस्तुति में निहित भावों को मान देने का हार्दिक आभार। 

आपकी आत्मीय बधाई एवम स्नेह का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on September 20, 2016 at 12:36pm

आदरणीया  rajesh kumari  जी प्रस्तुति में निहित भावों को मान देने का हार्दिक आभार। 

आपकी आत्मीय बधाई एवम स्नेह का दिल से आभार।

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 19, 2016 at 10:38pm

आदरणीय सुशील भाईजी

मनुष्य की ऐसी किस्मत कहाँ  कि वह सम भाव वाला खिलौना हो जाय ।  इस सर्वश्रेष्ठ रचना के लिए मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 18, 2016 at 3:47pm
आदरणीय शुशील जी सर्वप्रथम तो आपकी इस शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई आपकी रचना महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना चयनित हुयी है इसके लिए भी ढेर सारी बधाई स्वीकार करें सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 18, 2016 at 10:27am

आद० सुशील सरना जी,बहुत सुन्दर दिल तक पंहुचती आपकी ये रचना |बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनायें |

माह की सर्वश्रेष्ठ रचना में स्थान पाई इसके लिए दिल से बधाई | 

Comment by Sushil Sarna on August 5, 2016 at 7:22pm

आदरणीय गिरिराज जी भाई साहिब प्रस्तुति ने आपके दिल को स्पर्श किया , ये रचना के लिए गौरव की बात है। हार्दिक आभार सर। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 5, 2016 at 11:28am

आदरनीय सुशील भाई , अच्छी कविता हुई , हार्दिक बधाई आपको ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
6 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service