For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इतनी बड़ी भी ख्वाहिशें अच्छी नहीं होतीं (ग़ज़ल)......डॉ. प्राची

2212,2212,2212,22

अपनों के गम पर आतिशें अच्छी नहीं होतीं।
यूँ पीठ पीछे साजिशें अच्छी नहीं होतीं।

घर-बार रिश्तेदार सब हों दाँव पर, जिसमे
इतनी बड़ी भी ख्वाहिशें अच्छी नहीं होतीं।

कुछ बाँट पाओ बोझ तो साथी को आए चैन
दिन रात बस फरमाइशें अच्छी नहीं होतीं।

गर नीँव ही हो खोखली रिश्ते बचें क्या ख़ाक
मन में सुलगती रंज़िशें अच्छी नहीं होतीं।

सागर पुकारे प्यास रख, तो दौड़ती है वो
बहती नदी पर बंदिशें अच्छी नहीं होतीं।

सम्मान को रख ताक पर अनुबंध की खातिर
बस एक तरफ़ा कोशिशें अच्छी नहीं होतीं।

कुछ फूलता-फलता नहीं, उसकी छुअन के बाद
बिन मौसमों की बारिशें अच्छी नहीं होतीं।

इक नागफनियों का बगीचा, है परी का ठौर !
बेमेल दिखती जुम्बिशें अच्छी नहीं होतीं।

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 567

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on March 6, 2016 at 7:15pm

आदरणीया , सुन्दर रचना ..............बधाई 

Comment by narendrasinh chauhan on March 5, 2016 at 7:24pm

सुन्दर रचना ,

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 5, 2016 at 11:02am

इस प्रयाश पर हार्दिक बधाई l

Comment by Samar kabeer on March 4, 2016 at 6:19pm
ग़ज़ल के बारे में हर प्रकार की जानकारी ओबीओ पर मिल ही जाती है, मेरा मशविरा है कि ग़ज़ल पहले काग़ज़ पर लिख कर ख़ुद ही अपनी त्रुटियाँ तलाश करें उसके बाद मंच पर साझा करें,मेरी दुआ है की आप जल्द ठीक हों ।
Comment by TEJ VEER SINGH on March 4, 2016 at 5:30pm

 हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ प्राची सिंह जी! बेहतरीन गज़ल!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 3, 2016 at 10:07pm

 आदरणीय समर कबीर जी 

असल में स्वास्थ्य आज कल ठीक नहीं है, तो नींद आने में बहुत परेशानी है. 

रात को जागते जागते अक्सर मोबाइल पर ही टाइप करते करते ग़ज़ल कहती हूँ.... मोबाइल से ग़ज़ल डिलीट हो जाने का डर रहता है, इसलिए उसे अगले दिन ऑनलाइन ओबीओ पर मोबाइल से ही शेयर कर देती हूँ. 

लैपटॉप पर बैठने की इजाज़त नहीं तो, कम ही समय मिल पाता है... पढने समझने के बाद भी  शिल्पगत टिप्पणियों का विषद प्रत्युत्तर देने का ... कभी कभी स्वास्थ्य इजाज़त नहीं देता.

विश्वास है आप माफ़ करेंगे.

धीरे धीरे पुरानी पोस्ट्स के उत्तर भी दे रही हूँ. अब उसी ग़ज़ल की बारी थी, जिसपर आपने बहुमूल्य सुझाव दिए हैं... 

मुझे समय अवश्य ही दें... और कृपया हर शिल्पगत कमी और  सुधार की गुंजाइश को ज़रूर इंगित करें .

यदि संभव हो तो ग़ज़ल के प्रकारों पर भी जानकारी भी अवश्य सांझा करें. यथा रवायती , मुसलसल ..आदि , मैंने खोजने की कोशिश की थी पर मुझे विस्तृत और स्पस्ट जानकारी प्राप्त नहीं हुई. 

दुबारा लौटती हूँ इस ग़ज़ल पर आपके सुझावों पर.

सादर.

Comment by Samar kabeer on March 3, 2016 at 9:36pm
मोहतरमा डॉ.प्राची साहिबा आदाब,ग़ज़लों का प्रयास इतना तेज़ है क़ि आपने इस से पहले वाली ग़ज़ल पर वापस आना मुनासिब नहीं समझा,
मतले में "आतिशें" शब्द सही नहीं,"आतिश बाजियां"कहन चाहती हैं शायद आप ?इसके अलावा भी कई कमियाँ हैं,गुणीजनों का इन्तिज़ार करें ।
Comment by Shyam Narain Verma on March 3, 2016 at 6:16pm

बेहद उम्दा ...बहुत बहुत बधाई आप को | सादर 

Comment by Sushil Sarna on March 3, 2016 at 1:01pm

अपनों के गम पर आतिशें अच्छी नहीं होतीं।

यूँ पीठ पीछे साजिशें अच्छी नहीं होतीं।

घर-बार रिश्तेदार सब हों दाँव पर, जिसमे

इतनी बड़ी भी ख्वाहिशें अच्छी नहीं होतीं।

निःशब्द हूँ आपके इन खूबसूरत अहसासों से जड़ित ग़ज़ल की प्रस्तुति पर। हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय डॉ प्राची सिंह जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
16 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
19 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service