For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पढ़ सके तू जो अगर - ग़ज़ल (लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' )

2122    1122    1122    22

खूब परहेज भी करता है दिखाने के लिए
है जरूरत भी मगर प्यार जमाने के लिए /1

सोच मत सिर्फ  बहाना है बहाने के लिए
वक्त है पास कहाँ तुझको मनाने के लिए /2

शौक पाला जो सितम हमने उठाने के लिए
आ गई  धूप  भी  राहों  में सताने के लिए /3

देख हालात को खुद ही तू  जगा ले अब तो
कौन  आएगा  तुझे  और  जगाने  के लिए /4

पढ़ सके तू जो अगर रोज किताबों सा पढ़
है नहीं  बात कोई  मुझ में छुपाने के लिए /5

कैसी किस्मत थी कि आखिर वो मरा भी बेघर
खूब बेघर  जो  रहा घर  को  बनाने के लिए /6

मौलिक व अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

Views: 661

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 3, 2016 at 12:10am

आ भाई जेनिट जी हार्दिक धन्यवाद l

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 3, 2016 at 12:09am

आ० भाई हरी प्रकाश जी प्रशंसा के लिए आभार l

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 3, 2016 at 12:08am

आ०  भाई रवि शुक्ल जी उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद l

Comment by जयनित कुमार मेहता on February 2, 2016 at 6:20pm
सुन्दर ग़ज़ल कही आपने आदरणीय लक्ष्मण जी..
Comment by Hari Prakash Dubey on February 2, 2016 at 2:03am

पढ़ सके तू जो अगर रोज किताबों सा पढ़
है नहीं  बात कोई  मुझ में छुपाने के लिए....सुन्दर रचना ,हार्दिक बधाई आ.लक्ष्मण धामी जी ! सादर 

Comment by Ravi Shukla on February 1, 2016 at 1:30pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बढि़या गजल के लिये दाद कुबूल करें

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 31, 2016 at 6:35pm

आ भाई सुशील जी ,उत्साहवर्धन के लिए आभार l

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 31, 2016 at 6:34pm

आ० भाई तेजवीर जी प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद l

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 31, 2016 at 6:34pm

आ० भाई समर कबीर जी ,उपस्थिति प्रशंसा और बेहतरीन सलाह देने के लिए आभार l

Comment by Sushil Sarna on January 29, 2016 at 9:09pm

शौक पाला जो सितम हमने उठाने के लिए
आ गई धूप भी राहों में सताने के लिए /3

वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी वाह .... बेहद खूबसूरत अहसास पिरोये हैं आपने अपनी इस दिलकश ग़ज़ल में। दिल से बधाई स्वीकार करें सर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service